Union Budget 2020: स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार नियमों में कर सकती है बदलाव

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नई तकनीकों के सहारे आगे बढ़ रहे स्टार्टअप्स को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि सरकार ने स्टार्टअप्स को सहूलियत देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इसे और बढ़ावा देने के लिए नियमों और नियामकीय ढांचे को ज्यादा सरल व सहज बनाया जाए। सरकार ऐसा माहौल तैयार करे कि भारत स्टार्टअप्स के लिए कारोबारी सुगमता के मामले में दुनिया का सबसे बेहतर देश बन जाए।
स्टार्टअप्स स्किलबॉक्स के सह संस्थापक एवं सीटीओ रवि पारधी का कहना है कि आर्थिक सुस्ती के माहौल में नकारात्मक धारणा से निपटना बड़ी चुनौती है। इसके लिए सरकार को आयकर की दरों में कटौती करने के साथ कुछ विशेष कटौतियों को बढ़ाना भी चाहिए। ऐसा होने से ग्राहकों के हाथ में ज्यादा नकदी रहेगी और खर्च की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और किसानों को उत्पाद की सही कीमत दिलाने की दिशा में काम करने वाले स्टार्टअप एग्रोइस के सह-संस्थापक व सीईओ प्रथमेश कांत ने भी और कदम उठाए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि केंद्रीय उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाले डीपीआईआईटी से पंजीकृत स्टार्टअप्स को भी एंजल टैक्स में छूट मिलनी चाहिए, जिसकी घोषणा पिछले साल जुलाई के बजट में की गई थी।

लाइव एंटरटेनमेंट को मिले बढ़ावा
पारधी ने कहा कि सरकार को भारत में लाइव एंटरटेनमेंट सेगमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। इस क्षेत्र को सहयोग प्रदान करने और इसके लिए अनुकूल प्रणाली बनाने की जरूरत है। इसे सरकारी-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में भी लाने की अनुमति दी जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यावसायिक स्थल मौजूदा स्थलों पर दबाव कम कर सकते हैं और कार्यक्रमों के आयोजन में देरी की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कला, इतिहास, मनोरंजन आदि से जुडे़ समेकित मनोरंजक केंद्रों पर भी विचार किया जाना चाहिए और पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इनकी शुरुआत होनी चाहिए। इन प्रयासों से देसी-विदेशी पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
निर्यात और घरेलू खपत बढ़ाने की जरूरत
स्ट्राटा कंसल्टिंग के सह-संस्थापक शैलेश शाह ने कहा कि इस समय शहरी बुनियादी ढांचे को सही दिशा देने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर से अधिक निवेश की आवश्यकता है। ऐसा करने के लिए प्रासंगिक, अभिनव और साहसिक नीतियों की जरूरत होगी। लिहाजा सरकार को बेहद कम समय में निर्यात और घरेलू खपत को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने होंगे।