एसटीएफ ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में डुप्लीकेट अंकपत्र, डिग्री व अन्य दस्तावेजों के आधार पर 12 जिलों में 336 फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का खुलासा किया है। ये शिक्षक पिछले 10 वर्षों से काम करते मिले हैं। इन शिक्षकों ने मेरिट के आधार पर होने वाली भर्ती का बेजा लाभ उठाया था। 
इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालयों तक साठगांठ का पता चला है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग से इन शिक्षकों को बर्खास्त करने और वेतन आदि की वसूली करने की संस्तुति की है। एसटीएफ की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि फर्जी सहायक शिक्षकों ने सबसे पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में तैनात लिपिकों से साठगांठ कर पूर्व में मेरिट पर चयनित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों व अन्य दस्तावेजों की फोटोस्टेट प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और संबंधित विश्वविद्यालय में सर्टिफिकेट चोरी या खोने की शिकायत कर डुप्लीकेट प्रमाणपत्र हासिल किया। फिर इन प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल मेरिट के आधार पर होने वाली शिक्षक भर्ती में किया।
इनका फर्जीवाड़ा यहीं नहीं रुका। सहायक अध्यापक के पद पर चयन होने के बाद वे बीएसए कार्यालय के लिपिकों से साठगांठ कर शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन खुद ही संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय में प्रपत्र ले जाकर करा लाते थे। बाद में इसकी रिपोर्ट बीएसए कार्यालय में जमा करा देते थे।
मथुरा में सर्वाधिक 124 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ केस
एसटीएफ ने मथुरा में 124, सिद्धार्थनगर में 37, अमेठी में 16, सीतापुर, आजमगढ़ व महराजगंज में 5-5, बलरामपुर में 4, देवरिया व सुल्तानपुर में 3-3, बरेली में 2 और अंबेडकरनगर व गोरखपुर में 1-1 फर्जी शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जबकि बलरामपुर में 54, गोरखपुर व सिद्धार्थनगर में 32-32, महराजगंज में 8, बरेली में 5 और सुल्तानपुर में 3 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ जांच प्रक्रिया पूरी हो गई है।
डुप्लीकेट अंकपत्र व अन्य दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वालों की सूची सौंपते हुए बेसिक शिक्षा विभाग से इन्हें बर्खास्त करने और वसूली करने की संस्तुति की गई है।
-अमिताभ यश, पुलिस महानिरीक्षक एसटीएफ
