
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव के शासनादेश के बाद भी उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों को मातृत्व अवकाश के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है। एक तरफ जहां सरकार शिक्षामित्रों के लिए नरम है और उनके आक्रोश को कम करने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी ओर समय पर महिलाओं को मातृत्व अवकाश न मिलने से शिक्षामित्रों में आक्रोश भी फैल रहा है। शासनादेश के बाद भी शिक्षामित्रों को अवकाश में देरी हो रही है।
दरअसल सीतापुर के लहरपुर में तैनात महिला शिक्षामित्र उपमा शुक्ला ने मातृत्व अवकाश हेतु लहरपुर बीआरसी पर आवेदन किया था। बीआरसी से अवकाश की फाइल बीएसए आॅफिस पहुंच चुकी है इसकी जानकारी खुद एसडीआई रंजीत कुमार ने की है। बावजूद इसके बीएसए कार्यलय में फाइल धूल फांक रही है। अभी तक कार्यलय से छुट्टी हेतु मंजूरी नहीं मिल सकी है।
आपको बता दें कि सरकार ने नए साल पर महिला शिक्षामित्रों को वेतन समेत मातृत्व अवकाश देने की बात कही है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने इस बाबत शासनादेश भी जारी किया है कि (180 दिन) के मानदेय सहित मातृत्व अवकाश महिला शिक्षामित्रों को दिया जाए। महिला शिक्षामित्रों को मातृत्व (प्रसूति) अवकाश दिए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी।
अभी तक थी यह व्यवस्था
महिला शिक्षामित्रों को अभी तक तीन महीने का प्रसूति अवकाश मिलता था, लेकिन इसमें भी शर्त थी। महिला शिक्षामित्र के परिवार के ही इंटर पास किसी व्यक्ति को ग्राम शिक्षा समिति द्वारा प्रस्ताव पास करके विद्यालय में पढ़ाना पड़ता था। यदि परिवार में कोई नहीं मिलता था तो मानदेय की कटौती हो जाती थी। नए शासनादेश ने अब उन्हें नियमित शिक्षकों की तरह ही मातृत्व अवकाश मिलेगा।