आंखें बहुत कुछ बयान करती हैं। वे बिन बोले ही बहुत कुछ समझा देती हैं। आंखें हमारे शरीर का सबसे खूबसूरत और नाजुक हिस्सा हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि गुलाबी, नीले, हरे और लाल रंग की आंखें होने का राज क्या है? आखिर कैसे किसी की आंखें उनके माता-पिता की काले या भूरे रंग से अलग होती हैं। ऐश्वर्या राय बच्चन की आंखें कुछ हरी-भूरी या हल्की नीली यानी हैजल रंग की हैं। तो क्या यह कोई चमत्कार है या विज्ञान का अजूबा? सिर्फ ऐश्वर्या ही नहीं, देश-विदेश की कई मशहूर हस्तियों की आंखों का रंग अनोखा है। यही नहीं, कई लोग अपनी आंखों के रंग के कारण सोशल मीडिया में चर्चित हैं। साथ ही कई लोगों की एक आंख दूसरी आंख से अलग है, यानी कि अगर एक आंख का रंग नीला है तो दूसरी आंख का रंग भूरा या काला।
आंखों के अलग रंग की कहानी सिर्फ मनुष्य तक ही सीमित नहीं है, यह पशुओं में भी देखा गया है। अब शायद आपको भी थोड़ी बहुत जिज्ञासा हुई होगी कि आखिर ऐसा क्यों है?
आंखों के भूरे रंग को ‘प्रभावी’ माना जाता है और नीले रंग को ‘अप्रभावी’। इसलिए भूरी आंखों को नीली और हरी दोनों आंखों के रंग पर हावी माना जाता है और हरी आंखों को नीली आंखों पर हावी माना जाता है। लेकिन सवाल अब भी यही है कि आखिर माता-पिता की आंखों के विपरीत संतान की आंखों का रंग कैसे हो जाता है?
इसका कारण है मेलानिन। आंखों का रंग जितना हल्का होगा, मेलानिन की मात्रा उसमें उतनी ही कम होगी। मेलानिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य पिगमेंट है, जो कि पृथ्वी के अधिकतर जीवों में पाया जाता है, हालांकि मकड़ियों जैसे भी गिनती के कुछ जीव हैं, जिनमें यह नहीं पाया जाता है। पशुओं में मेलानिन, टाइरोसीन नामक एक अमीनो अम्ल से बनता है। मेलानिन हर तरह की त्वचा में होता है। चाहे वह गोरी हो या संवाली। हर व्यक्ति के अंदर यह विभिन्न रूपों और अनुपात में मौजूद होता है। मेलानिन न सिर्फ त्वचा को रंग प्रदान करता है, बल्कि यह सूर्य की हानिकारक किरणों से भी त्वचा की रक्षा करता है। बता दें कि मेलानिन की कमी के कारण सिर्फ आंखों का रंग ही नहीं बदलता, बल्कि यह आपकी त्वचा और बालों के रंग को भी प्रभावित करता है। यदि मेलानिन कम हो तो आंखों का रंग हरा या नीला, बालों का रंग सुनहरा और त्वचा का रंग सफेद हो जाता है।
मेलानिन सूरज की किरणों में मौजूद हानिकारक पराबैंगनी (अल्ट्रावायलट) से रक्षा करता है, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए कम धूप वाले सर्द क्षेत्रों में लोगों के शरीर में मेलानिन की मात्रा कम होती है, क्योंकि धूप शरीर में विटामिन डी बनाने के लिए आवश्यक है। अधिक धूप वाले गरम क्षेत्रों में मेलानिन की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में इनमें शरीर पर पड़ने वाला 99.9 प्रतिशत पराबैंगनी विकिरण (रेडिएशन) मेलानिन द्वारा रोक दिया जाता है।
यही वजह है कि यूरोपियन देशों के लोगों की आंख, त्वचा और बालों का रंग हल्का होता है। ऐसे में जिन लोगों की आंखें हल्के रंग की होती हैं, वे सूर्य के प्रकाश के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को अल्ट्रावायलट (यू.वी.) प्रोटेक्शन वाले सनग्लास पहनने की सलाह दी जाती है।
कुछ लोगों की दोनों आंखों का रंग अलग-अलग होता है। एक आंख में भूरा तो दूसरी आंख में ग्रे। इसे हेट्रोक्रोमिया कहा जाता है। यह चोट, सूजन या आनुवांशिकी की वजह से होता है। अगर आपकी आंखों में भी कुछ ऐसा हो तो आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
वर्ल्ड एटल्स वेबसाइट के अनुसार दुनिया की लगभग 79 फीसदी आबादी के पास भूरे रंग की आंखें हैं, जो सबसे आम आंखों का रंग माना जाता है। भूरे रंग के बाद दुनिया के 8 से 10 फीसदी लोगों के पास नीली आंखें हैं, 5 फीसदी में एंबर या हैजल रंग की आंखों वाले लोग शामिल हैं और 2 फीसदी लोगों की हरी आंखें हैं। दुर्लभ रंग की आंखों में ग्रे और लाल या बैंगनी शामिल हैं। नवजात शिशु की आंखों का रंग 12 से 18 महीने तक बदल सकता है। उसके बाद जो रंग होगा, वह उसका वास्तव रंग होगा।
खूबसूरत आंखें पाना हर लड़की का सपना होता है, क्योंकि आंखें बहुत कुछ ब्यान करती हैं, लेकिन हर किसी की आंखें कुदरती इतनी खूबसूरत नहीं होती हैं। ऐसे में दुनिया में सबसे आकर्षक आंखों का रंग हरा माना जाता है। फिर हैजल, हल्का नीला, गहरा नीला और आखिर में भूरा रंग।
