लड़कियों को लेकर समाज में कई तरह के बंधन हैं। उनके कपड़े पहनने से लेकर उनके उठने-बैठने तक पर लोगों की नजर रहती है। घर-परिवार में लड़कियों को अक्सर ठीक से बैठने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि पैर को क्रॉस कर के बैठो, पैर फैलाकर मत बैठो, ऐसे-वैसे मत बैठो या फिर लड़कों की तरह मत बैठो, वगैरह-वगैरह।
लड़कियों को यह जान लेना चाहिए कि लड़कों की तरह पैर फैलाकर बैठना उनके लिए मेडिकली सही है। इसलिए अगली बार कोई ऐसी-वैसी सलाह दे तो उन्हें भी जरूर बताएं। दरअसल, लड़कों की तरह बैठना लड़कियों के जोड़ों के लिए अच्छा होता है। टेक्सास की ऑर्थोपेडिक सर्जन बार्बरा बर्जिन ने इसको लेकर एक मुहिम शुरू कर दी है।
डॉ. बार्बरा ने इस मुहिम को ‘सिट लाइक ए मैन’ यानी कि एसएलएएम नाम दिया है। दरअसल, जब वह 32 साल की थीं, तभी से उनके घुटनों में आम दिनों में दर्द रहता था। वहीं, वीकेंड पर उन्हें आराम रहता था। उन्होंने इस बारे में सोचना शुरू किया कि आखिर वीकेंड पर ऐसा क्या बदलाव हो जाता है!
डॉ. बर्बरा ने गौर किया तो उन्हें मालूम हुआ कि वीकेंड पर उन्हें अपनी छोटी कार नहीं चलानी पड़ रही। कार चलाते वक्त उनके पैर और घुटने सटे रहते थे और यही दर्द का कारण होता था। दरअसल, महिलाओं की कमर वाला हिस्सा पुरुषों की अपेक्षा चौड़ा होता है, इसलिए जांघ की हड्डी अंदर की ओर हिप जॉइंट से मुड़ती है।
महिलाओं के पैर सटाकर बैठने से उनके हिप्स और घुटनों में दर्द हो सकता है। इसलिए ऐसे बैठना तकलीफदेह हो सकता है। डॉ. बर्बरा के अनुसार, उम्र के अनुसार स्थिति और बिगड़ती चली जाती है। इसलिए पुरुषों की तरह पैर फैलाकर बैठने से दर्द में आराम मिल सकता है।
दरअसल, बैठने के तरीके के कारण महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होती है। इसलिए महिलाओं को पैर फैलाकर आराम से बैठना चाहिए। पुरुषों की तरह बैठने से महिलाओं को दर्द से आराम मिलता है।
