- अटल जी ने कहा था की उनका शरीर सैनिक के शरीर से सस्ता है
- विचारधारा के विरोधी का भी करते थे सम्मान
- दिनेश शर्मा बोले अटल जी को जिया है
लखनऊ। राज्यसभा सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री यूपी डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक अच्छे कवि, सबको समाहित करने वाले राजनेता और अजातशत्रु थे जिनका विपक्षी भी सम्मान करते थे। उनका कहना था कि विचारधारा का विरोधी विपक्षी है प्रतिद्वंदी नहीं होता। वे चुटकी में माहौल बदलने में माहिर थे। विचार के आदान प्रदान को सच्चे लोकतंत्र की परिभाषा बताते थे । ये भी कहते थे कि विचारों का समन्वय लोगों को पास लाता है।
सांसद ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि अटल जी के विचार हर व्यक्ति के मन मस्तिष्क में छाये हुए हैं परंतु मैंने अटल जी को जिया है। बचपन में उनकी गोद में भी खेलने का सौभाग्य रहा है। पिताजी के गली वाले घर में भी कई बार आए हैं। अटल जी जब लखनऊ आए तो प्रवास के लिए उन्हें कार उपलब्ध रहे इसीलिए कार भी पिताजी ने ख़रीदी थी जिससे वे अक्सर दौरे करते थे। आज उस पुरानी कार को प्रेरणा स्थल के संग्रहालय में देखकर मन प्रसन्न भी था और दुख भी था। अटल जी अपने आप में एक संस्थान थे जिनके द्वारा बोला गया एक एक शब्द गंभीर मायने लिए होता था। वे ऐसे विराट व्यक्तित्व के धनी थे जिनका मेरे ऊपर भी गहरा असर पड़ा है।
डॉ शर्मा ने बताया कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे और गोपाल टंडन जी को चुनाव लड़ाने की तैयारी थी। हम सब भी यही चाहते थे कुछ कार्यकर्ता चाहते थे कि मैं भी कोई ना कोई चुनाव जरूर वे सब मुझे चुनाव लड़।ना चाहते थे, हम चाहते थे गोपाल जी लड़े। इसके बीच में अटल जी का फ़ोन आया और उन्होंने चुनाव लड़ने का आदेश दिया। पैसे नहीं होने का बहाना करने पर उन्होंने ये भी कहा की चुनाव पैसे से नहीं जीता जाता है साथ ही प्रचार में आने का भी वायदा किया। इसके बाद चुनाव हुए और जीत भी मिली। उस चुनाव में बीमारी के बाद भी अटल जी ने मेरा प्रचार किया था। उस सभा में अटल जी ने कहा था की मैं अपने आपको दिनेश में देखता हूँ।
उस सभा में उन्होंने लोगों से कहा कि कुर्ता यानी संसद आपने दिया है अब पैजामा नगर निगम जिता कर दे दो। सपा की सरकार होने के बाद भी बड़ी विजय मिली थी। अटल जी के कारण ही जीत का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था। अटल जी बड़े दिल वाले नेता थे। मेरे छोटे से घर में रुकते थे और किसी सुविधा की चाह नहीं रहती थी। भाजपा की स्थापना के पहले एक बैठक ऐशबाग स्थित जगदीशपुर धर्मशाला में हुई थी। ये उस समय की राजनीति की सरलता हुआ करती थी। बड़े बड़े नेता भी कार्यकर्ता के घर खाना खाते थे। उन्हें क्रोध करते किसी ने नहीं देखा था। कारगिल युद्ध में भारत की जीत उनके कौशल का परिचायक था।कारगिल युद्ध के समय वे सैनिकों के उत्साहवर्धन के लिए उनके पास गए और कहा कि अटल के शरीर का महत्व सैनिक के शरीर के बराबर ही है। सैनिकों की जान की कीमत कम नहीं है। लखनऊ के घर-घर में लोगों के दिलों में अटल मन मस्तिष्क में निवास करते थे लखनऊ के बहुत पुराने कार्यकर्ता आज भी अटल विचारों में उन्हें जीवंत भाव में दर्शन करते हैं लखनऊ में तीनों महापुरुषों की मूर्ति का अनावरण एक ऐतिहासिक अवसर है यहां पर उपस्थित लाखों की भीड़ इस बात का सबूत है कि लोग आज भी अटल नाम का स्मरण अपने हृदय मैं बसाए रखते हैं। लाखों की भीड़ में श्यामा प्रसाद मुखर्जी दीनदयाल उपाध्याय जी और अटल जी के अमर रहने के नारों से पूरा पांडाल गूंज रहा था।
