- नवयुग कन्या महाविद्यालय में ‘भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी : विचार, काव्य और राष्ट्रनिर्माण’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
25 दिसंबर 2025 को नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेन्द्र नगर, लखनऊ में सांस्कृतिक समिति एवं IQAC के संयुक्त तत्वावधान में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, युगपुरुष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी वर्ष की पावन संध्या पर “भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी : विचार, काव्य और राष्ट्रनिर्माण” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय के मार्गदर्शन में ऑनलाइन ज़ूम मंच पर आयोजित की गई तथा इसका सीधा प्रसारण यूट्यूब लाइव के माध्यम से भी किया गया, जिससे देश-भर के प्रतिभागियों को कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ एवं विषय-प्रस्तावना प्रो. सीमा सरकार द्वारा की गई। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व, उनके वैचारिक योगदान तथा राष्ट्रजीवन में उनकी भूमिका को रेखांकित करते हुए संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की और सभी आमंत्रित वक्ताओं का औपचारिक परिचय कराया। उनके वक्तव्य से श्रोताओं में कार्यक्रम के प्रति गंभीरता एवं बौद्धिक उत्साह का संचार हुआ।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राजीव शर्मा, निवर्तमान कमिश्नर, शहडोल ने अपने संबोधन में अटल बिहारी वाजपेयी जी के “राष्ट्र प्रथम” के संकल्प, सुशासन की अवधारणा, दूरदर्शी नेतृत्व और सामाजिक संतुलन स्थापित करने के उनके प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अटल जी के व्यक्तित्व के राजनीतिक, प्रशासनिक और मानवीय पक्षों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. आमोद राय ने अटल बिहारी वाजपेयी जी की काव्य-दृष्टि तथा उनके संपूर्ण व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर भावपूर्ण शब्दों में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अटल जी की कविताएँ राष्ट्रप्रेम, मानवीय संवेदना और अटूट संकल्प की सशक्त अभिव्यक्ति हैं, जो पाठकों और श्रोताओं को निरंतर प्रेरणा देती हैं।
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के डॉ. आशुतोष सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी जी को एक दार्शनिक कवि के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनकी वैचारिक दृढ़ता, कंस्ट्रक्टिव पॉलिटिक्स और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी अटूट निष्ठा पर गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने अटल जी के जीवन-दर्शन को “टच द स्काई, रूटेड टू द ग्रास” की संकल्पना से जोड़ते हुए स्पष्ट किया। प्रज्ञा प्रवाह, मेरठ से नेहा वत्स ने अपने वक्तव्य में अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा सांस्कृतिक चेतना के निर्माण, सामाजिक सरोकारों को मजबूत करने तथा वैचारिक जागरूकता फैलाने में निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि अटल जी के विचार आज भी युवाओं को दिशा और प्रेरणा प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय ने अपने समापन वक्तव्य एवं धन्यवाद ज्ञापन में संगोष्ठी को अत्यंत फलदायी, विचारोत्तेजक और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी के आर्थिक और नीतिगत दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए दूरसंचार क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी सहभागिता, “शाइनिंग इंडिया” की संकल्पना तथा बाजार शक्तियों और सामाजिक संतुलन के बीच सामंजस्य स्थापित करने में उनके ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी आधुनिक भारत के उन प्रमुख शिल्पकारों में से हैं, जिनकी दूरदर्शिता के कारण आज डिजिटल माध्यमों से इस प्रकार की राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन संभव हो सका है।
संगोष्ठी के दौरान महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताओं का अत्यंत प्रभावशाली एवं भावपूर्ण काव्य-पाठ प्रस्तुत किया गया। काजल अवस्थी, मुस्कान मिश्रा, प्राची तिवारी एवं आशी ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया और कार्यक्रम को विशेष सांस्कृतिक गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम का सफल संचालन एवं समन्वय प्रो. सीमा सरकार द्वारा किया गया। सांस्कृतिक समिति के सदस्यों प्रो. सीमा पांडेय, डॉ. अपूर्वा अवस्थी, डॉ. क्षितिज शुक्ला, डॉ. अवनिका, डॉ. चरणप्रीत कौर, डॉ. अंकिता पांडेय, डॉ. स्नेहा चौधरी एवं डॉ. सुकन्या तिवारी के सहयोग और निर्देशन से संगोष्ठी अत्यंत सुव्यवस्थित रूप में संपन्न हुई। कार्यक्रम का तकनीकी संचालन डॉ. सुनीता सिंह, विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान, द्वारा अत्यंत दक्षता के साथ किया गया, जिससे ऑनलाइन आयोजन की गुणवत्ता उत्कृष्ट बनी रही। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में महाविद्यालय की समस्त शिक्षिकाएँ एवं छात्राएँ ऑनलाइन माध्यम से बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं। साथ ही कोलकाता, शहडोल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोंडा, गोरखपुर, मेरठ, दिल्ली एवं लखनऊ सहित देश के विभिन्न भागों से प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता कर कार्यक्रम को एक सशक्त राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया।
इस प्रकार यह ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी अपने विषय-वस्तु, विद्वतापूर्ण विमर्श, छात्राओं की सांस्कृतिक प्रस्तुति और देशव्यापी सहभागिता के कारण अत्यंत सफल, सुव्यवस्थित एवं स्मरणीय रही।
