फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी गिरोह के सदस्यों ने एसटीएफ की पूछताछ में कई राज उगले हैं। गुरुवार को पकड़े गये सगे भाइयों ने पूछताछ में बताया कि फर्जी बोगस फर्म को बनाने में और उनकी खरीद बिक्री दिखाने में इनका सहयोग सीए अरुण सिंघल करता था। अरुण सिंघल ने उनके यहां काम करने वाले बिट्टू कुमार व सचिन कुमार के नाम पर सचिन मेडिकोज नाम से एक फर्म सहारनपुर में तथा सचिन मेडिकोज के ही नाम पर दूसरी फर्म भगवानपुर रुड़की में बनाई।
एसटीएफ एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक पूछताछ में दोनों ने कुबूल किया कि एबॉट कंपनी से मंगाई हुई फेन्सेडिल कफ सिरप को पहले उत्तराखण्ड एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश की दवा फर्म को कागजों में बेचना दिखाते थे। फिर पूरा माल को बिट्टू कुमार के नाम पर बनी सहारनपुर वाली फर्म सचिन मेडिकोज में खरीद लेना दिखाते थे। फिर फर्जी ई-वे बिल तैयार कर तस्करों को बेच देते थे। वर्ष 2021 में इन लोगों का माल कई जगह पकड़ा गया। जिसमें मालदा पश्चिम बंगाल में दर्ज एफआईआर में 2022 में विभोर राणा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
जेल से छूटने के बाद साथी ने बनाई नई फर्म
जेल से छूट कर आने के बाद विभोर ने इन लोगों के साथ मिलकर जीआर ट्रेडिंग से काम करना बंद कर दिया। जीआर ट्रेडिंग से काम बंद हो जाने के बाद एबॉट कंपनी के अधिकारियों से मिलीभगत कर विशाल सिंह की फर्म बीएन फर्मास्युटिकल के लाइसेन्स पर सहारनपुर के केयरिंग एंड फारवर्डिंग एजेंट (सीएफए) बन गए। जबकि फेन्सेडिल कफ सिरप की तस्करी में छोटा भाई विभोर राणा जेल गया था। सचिन मेडिकोज के नाम से जो फर्म भगवानपुर रुड़की में बनी थी उसका नाम दिसंबर 2023 में बदलकर मारुति मेडिकोज कर दिया।
इस दौरान जीआर ट्रेडिंग से काम बंद हो जाने पर अरुण सिंघल उनके यहां से काम छोड़कर चला गया। अरुण सिंघल ने विशाल और विभोर के कहने पर शुभम शर्मा, बालाजी संजीवनी, मुनेश पुंडीर, विष्णु प्रिया बिट्टू, के नाम पर चरण पादुका के नाम से तथा अन्य कई बोगस फर्म उनके नौकरों तथा परिचितों के नाम पर बनाई थी। इन फर्मों से भी फेनसेडिल की फर्जी क्रय विक्रय दिखाया गया।
एबॉट ने मारुति मेडिकोज को बनाया उत्तराखंड का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर
अभिषेक ने एसटीएफ को बताया कि अरुण सिंघल के कंपनी छोड़ने के बाद विभोर राणा तथा विशाल सिंह के कहने पर मारुति मेडिकोज का काम देखने लगे। मारुति मेडिकोज को जनवरी 2024 में एबॉट ने उत्तराखंड का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया। उसके सभी बिल पर मैं ही सचिन कुमार के नाम पर साइन करता था तथा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से लेन देन भी मैं ही करता था। इसी दौरान मेरे नाम पर भी दिल्ली में एक फर्म एवी फार्मास्यूटिकल्स पप्पन यादव के पार्टनरशिप में बनवा दी।
जिसका सारा काम विशाल सिंह एवं विभोर राणा का साथी सौरभ त्यागी और पप्पन यादव देखा करते थे। मैं सिर्फ दो ही बार एवी फार्मास्यूटिकल्स दिल्ली में गया हूं। विशाल और विभोर मारुति मेडिकोज में जो भी फेंसेडिल कफ सिरफ मंगाते थे उसको दीपक राणा अम्बेहटा चांद का रहने वाला है। अब भगवानपुर, रूड़की में रहने लगा है। रुड़की के ही संदीप शर्मा एवं देहरादून का मेघराज एंड संस तथा पार्थ मेडिकोज का पार्थ अरोड़ा आदि अपनी तथा उनके परिचितों के नाम बनी करीब 65 फर्मों की बिक्री कागजों में दिखा दी जाती थी।
वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, व आगरा में करते थे सप्लाई
एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ में सामने आया कि माल मारुति मेडिकोज पर ही रहता था। उन्हें उन सभी फर्मों से फेन्सेडिल कफ सिरफ की बिक्री लाभ पर मेरे नाम पर बनी एवी फार्मास्यूटिकल्स को बिल कर दिया जाता था। इसके बाद सौरभ त्यागी के माध्यम से विभोर राणा एवं विशाल उसको आगरा, बनारस, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ आदि के माध्यम से फर्जी ई-वे बिल आदि बनाकर उसे मालदा वेस्ट बंगाल, त्रिपुरा आदि के रास्ते से चोरी से बांग्लादेश के लिये तस्करों को भेज देते थे।
अप्रैल 2024 में दोनों के माध्यम से भेजी गई फेंसेडिल कफ सिरप जो सीतापुर के दो स्टॉकिस्ट के नाम से भेजा गया था लखनऊ में एसटीएफ ने पकड़ लिया था। दिसंबर 2024 में एबॉट कंपनी ने फेंसेडिल कफ सिरप बनाना बंद कर दिया। पिछले महीने 11 नवंबर को विशाल सिंह, विभोर राणा, सचिन कुमार और बिट्टू को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद से हम दोनों ने अपना नंबर बंद कर लिया तथा अंबाला में छुप कर रह रहे थे।
