नई दिल्ली। मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और राज्यसभा सदस्य रह चुके स्वराज कौशल का गुरुवार की शाम यहां लोधी रोड स्थित दयानंद घाट मुक्ति स्थल पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति और नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता 73 वर्षीय स्वराज कौशल को आज ही पूर्वाह्न तबीयत खराब होने पर गंभीर हालत में दिल्ली एम्स ले जाया गया, जब डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
स्वराज दंपति की इकलौती संतान बांसुरी स्वराज ने एक बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के दौरान दयानंद घाट मुक्ति स्थल पर भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। एम्स मीडिया सेल की कार्यवाहक प्रभारी प्रोफेसर डॉ. स्मिता पाटिल ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि पर्वाह्न तबीयत बिगड़ने पर गंभीर हालत में स्वराज कौशल को 10.45 बजे एम्स की इमरजेंसी में लाया गया था। इमरजेंसी टीम ने तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाते हुए उनका इलाज किया। लेकिन, तमाम प्रयासों के बाद वह रिवाइव नहीं कर सके और 1.50 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया।
वहीं, बांसुरी स्वराज ने एक्स पोस्ट में कहा, ‘पापा स्वराज कौशल जी, आपका स्नेह, आपका अनुशासन, आपकी सरलता, आपका राष्ट्रप्रेम और आपका अपार धैर्य मेरे जीवन की वह रोशनी हैं, जो कभी मंद नहीं होगी। आपका जाना हृदय की सबसे गहरी पीड़ा बनकर उतरा है, पर मन यही विश्वास थामे हुए है कि आप अब मां के साथ पुनः मिल चुके हैं, ईश्वर के सान्निध्य में, शाश्वत शांति में। आपकी बेटी होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौरव है, और आपकी विरासत, आपके मूल्य और आपका आशीर्वाद ही मेरी आगे की हर यात्रा का आधार रहेंगे।’
सबसे कम उम्र राज्यपाल का ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज है नाम
स्वराज कौशल का जन्म हिमाचल प्रदेश के सोलन में 12 जुलाई, 1952 को हुआ था। 13 जुलाई, 1975 को उनका विवाह सुषमा स्वराज के साथ हुआ था। उन्हें 1990 में मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था, तब उनकी उम्र मात्र 37 वर्ष थी। वह 1993 तक इस पद पर रहे। वह सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने वाले व्यक्ति रहे हैं। इसके लिए उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज है। वह मिजोरम के तीसरे राज्यपाल थे। वह 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सांसद भी रहे। उन्हें हरियाणा विकास पार्टी की ओर से राज्यसभा में भेजा गया था। इससे पहले वह 1987 से 1990 तक मिजोरम के एडवोकेट जनरल भी रहे।
