डॉ. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों पर लगाए गए आरोपों का विश्वविद्यालय प्रशासन ने खंडन किया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि संपूर्ण प्रक्रिया नियमों के अनुरूप और पूर्णतः पारदर्शी रही है, जिसमें वही प्रक्रिया अपनाई गई जो देश के अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रचलित है।विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. शशांक शेखर ने बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया में गोपनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी को नाम के स्थान पर एक विशिष्ट कोड दिया गया। इसी कोड का प्रयोग विश्वविद्यालय की वेबसाइट और समर्थ पोर्टल पर प्रदर्शित सूचनाओं में भी किया गया, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाती है।
उन्होंने बताया कि डायरेक्ट भर्ती और कैरियर उन्नयन योजना (CAS) के अंतर्गत की गई सभी नियुक्तियाँ संबंधित नियमों और विनियमों के अनुरूप की गई हैं। शॉर्टलिस्टिंग से लेकर अंतिम चयन तक हर चरण में पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन हुआ। समर्थ पोर्टल के माध्यम से अभ्यर्थियों को सभी जानकारी समय-समय पर दी गई और वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई। इसलिए नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप निराधार और भ्रामक हैं।
क्या है मामला
गत दिनों विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर कुछ शिकायतें सामने आई थीं। आरोप था कि भर्ती और कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (CAS) प्रमोशन में समर्थ पोर्टल की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया 21 सितंबर को पूरी होने के बाद भी चयनित शिक्षकों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई।
असिस्टेंट प्रोफेसर (संविदा) की नियुक्ति में लिखित परीक्षा के परिणाम घोषित किए बिना सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। साथ ही आरोप यह भी लगाया गया कि विश्वविद्यालय के ही कुछ शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई। इसके अतिरिक्त प्रोफेसर पद की सीधी भर्ती में रिक्त पदों पर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और एनएलयू नागपुर के अभ्यर्थियों को पुराने नियमों के तहत पदोन्नत किया गया, जबकि समर्थ पोर्टल की नई गाइडलाइन लागू नहीं की गई।
