रामनगरी के सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर में इन दिनों दो पट्टीयों के बीच वर्चस्व को लेकर चल रहे विवाद में खुलकर सामने आ गए है। सागरीय पट्टी और उज्जैनिया पट्टी के नागा साधुओं और पुजारी के बीच मंगलवार को विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद गद्दीनशीन में चारों पट्टीयों की बैठक बुलाई थी। जिसमें पट्टीयों के न जाने के कारण इस बैठक को दीपोत्सव तक के लिए टाल दिया गया है. लेकिन बढ़ते विवाद को लेकर शुक्रवार को उज्जैनया पट्टी के महंत संत रामदास और सरपंच रामकुमार दास के नेतृत्व में पुजारी और नागा साधुओं ने बैठक कर सागरीय पट्टी से सभी प्रकार के संबंधों को तत्काल समाप्त करने की घोषणा भी कर दी।
पुजारी तुलसीदास ने बताया कि सागरीय पट्टी के महंत संजय दास और पुजारी हेमंत दास का नाम लेकर संत प्रबल दास शिव शंकर दास और हरिद्वार पट्टी के विराट दास अपने कुछ शिष्यों को अलग से दर्शन करने की मांग कर रहे थे। जब नियमों के अनुसार दर्शन करने को कहा तो उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए हाथापाई करने लगे। उन्होंने मामले को यहीं पर समाप्त करने का प्रयास करते हुए सागरीय पट्टी के लोगों से माफी मांगने को कहा था, लेकिन कोई भी माफी मांगने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसलिए आज उज्जैनिया पट्टी के बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सागरीय पट्टी से कोई लेनदेन धार्मिक सामाजिक संबंध और खानपान नहीं रखा जाएगा। पुजारी छोटू दास ने आरोप लगाया है कि महंत संजय दास और पुजारी हेमंत दास के द्वारा अक्सर इस प्रकार की घटना की जाती रही है। इस बैठक में सरपंच महंत रामकुमार दास, लक्ष्मण दास, प्रेमदास रामानुज दास सहित लगभग 36 संत-महंत उपस्थित रहे। इसके बाद बसंतिया पट्टी के संतों ने हनुमानगढ़ी के निकास द्वार पर उज्जनियां पट्टी का समर्थन देने पहुंचे।