स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) ने “हया ही जीवन है: अर्थ, नैतिकता और शांति” शीर्षक से एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसका उद्घाटन आज नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में हुआ।
12 अक्टूबर से 10 नवंबर, 2025 तक चलने वाला यह एक महीने का अभियान, गरिमा, सम्मान और आंतरिक शांति के सार्वभौमिक मूल्य के रूप में हया यानी विनम्रता के गुण को पुनर्जीवित करके भारत के युवाओं की नैतिक चेतना और भावनात्मक संतुलन को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करता है। 28 से अधिक राज्यों, विश्वविद्यालयों और परिसरों में गतिविधियां और चर्चाएं आयोजित की जाएंगी।
एसआई ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, भारत का युवा आज एक नैतिक और सांस्कृतिक चौराहे पर खड़ा है। एक पूरी पीढ़ी की कल्पना को मीडिया उद्योग की संस्कृति द्वारा आकार दिया जा रहा है, जो अति-कामुक मनोरंजन, विकृत मूल्यों और इच्छाओं के निरंतर व्यावसायीकरण से भरा है। बार-बार सरकारी हस्तक्षेप और ओटीटी सामग्री के सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद, डिजिटल प्लेटफॉर्म, विज्ञापनों और सिनेमा में अश्लील सामग्री की बाढ़ सी आ गई है।
इसी सप्ताह की शुरुआत में, भारत सरकार ने अश्लील, अभद्र और पोर्नोग्राफिक सामग्री को बढ़ावा देने के आरोप में 25 ओटीटी प्लेटफॉर्म को ब्लॉक करने का आदेश दिया। कई प्लेटफॉर्म सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और आईटी नियम, 2021 का उल्लंघन करते हुए बार-बार अश्लील सामग्री प्रसारित करते पाए गए।
ये घटनाक्रम टॉक शो, ऑनलाइन सामग्री और सेलिब्रिटी पॉडकास्ट में यौन अश्लीलता पर वृद्धि से बढ़ते जन-आक्रोश के बीच सामने आए हैं, जो हाल ही में एक वायरल विवाद के बाद संसदीय चर्चा तक पहुंच गया था-जिसने मनोरंजन की दुनिया के नैतिक पतन की गहराई को उजागर किया था।
एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल हफीज ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा: “मनोरंजन जो कभी समाज का दर्पण हुआ करता था-अब उसे भ्रष्ट करने लगा है। फिल्में, वेब सीरीज और रियलिटी शो, वासना, हिंसा और महिलाओं के प्रति अनादर का महिमामंडन करते हैं और उन्हें केवल दिखावटी आकर्षण और व्यावसायिक लाभ की वस्तु बनाकर रख देते हैं। रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के नाम पर मीडिया उद्योग ने अभद्रता को सामान्य बना दिया है और महिला शरीर को व्यापार के लिए वस्तु बना दिया है, जिससे हमारे युवाओं का नैतिक आधार क्षीण हो रहा है।”
इस संस्कृति का नैतिक प्रभाव अब समाज के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में परिलक्षित होता है। स्टेटिस्टा (2024) की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय युवा अब प्रतिदिन छह घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर बिताते हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़े बताते हैं कि, सात में से एक भारतीय युवा गंभीर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है। पोर्नोग्राफी देखने के मामले में भी भारत दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है, जहां 70% से ज्यादा दर्शक 34 वर्ष से कम उम्र के हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB 2024) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में महिला अपराध में 25% की वृद्धि हुई है, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में उत्पीड़न और हमले के चिंताजनक मामले भी शामिल हैं। हफीज कहते हैं, “ये कोई अलग-थलग संकट नहीं हैं।” चेतावनी दी कि “ये हमारी संस्कृति में एक गहरी बीमारी के लक्षण हैं, जो चिंतन, संयम और सुधार की मांग करती है।”
उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां अश्लीलता को आत्मविश्वास और अनैतिकता को स्वतंत्रता के रूप में प्रचारित किया जाता है। हया संतुलन बहाल करती है। यह हमें याद दिलाती है कि, गरिमा और अनुशासन ही प्रगति के सच्चे संकेत हैं, जो राष्ट्र अपनी विनम्रता खो देता है-वह अपनी नैतिक दिशा भी खो देता है।”
एसआईओ के महासचिव एडवोकेट अनीस उर्रहमान ने कहा, “हमारे युवाओं में बुद्धि की कमी नहीं है। उनमें नैतिक स्पष्टता की कमी है। हया करुणा और आत्मसम्मान की भाषा है, जो आत्मा और समाज दोनों की रक्षा करती है। यह अभियान सीमाएं निर्धारित करने के बारे में नहीं है; बल्कि संतुलन खोजने के बारे में है।” “हया इज लाइफ” अभियान युवाओं को आंतरिक शक्ति और नैतिक जागरूकता के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए इंटरैक्टिव और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से आगे बढ़ेगा।
समाज के बीच ऐसी चलेगी कसरत
- भावनात्मक और नैतिक समर्थन के लिए श्रवण मंडल और परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे।
- व्यसन मुक्ति और डिजिटल डिटॉक्स परामर्श, पोर्नोग्राफी, सोशल मीडिया और स्क्रीन की लत से निपटना।
- बच्चों को नैतिक भ्रम से बाहर निकालने के लिए माता-पिता और शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं आयोजित होंगी।
- डिजिटल नैतिकता, पोर्नोग्राफी और भावनात्मक लचीलेपन पर सेमिनार और विशेषज्ञ वार्ताएं की जाएंगी।
- विनम्रता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक संतुलन पर परिसर प्रदर्शनिया और व्याख्यान होंगे।
कार्यक्रम के संयोजक शुजाउद्दीन फहद ने इस बात पर जोर दिया कि, भारत का सांस्कृतिक संकट, मूलतः एक नैतिक संकट है। “सच्ची प्रगति उस समाज से नहीं आ सकती जो अश्लीलता का जश्न मनाता है और महिलाओं को वस्तु बना देता है। एक सभ्यता जो सफलता को नैतिकता से अलग कर देती है। अपनी आत्मा को खोने का जोखिम उठाती है। युवाओं को अपने नैतिक दिशा-सूचक को पुनः प्राप्त करना होगा और विवेक और करुणा के माध्यम से अर्थ का पुनर्निर्माण करना होगा।”
“हया इज लाइफ” के माध्यम से एसआईओ एक राष्ट्रव्यापी नैतिक जागरूकता, आस्था, बुद्धिमत्ता और नैतिक जिम्मेदारी पर आधारित एक युवा आंदोलन की कल्पना करता है। यह अभियान युवा भारतीयों को याद दिलाता है कि विनम्रता कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है और आंतरिक शांति वहीं से शुरू होती है जहां नैतिक स्पष्टता लौटती है। एसआईओ के राष्ट्रीय सचिव यूनुस मुल्ला, तशरीफ केपी., रोशन मोहिद्दीन सहित अन्य छात्र नेताओं, प्रतिनिधि शामिल रहे।