केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबन्ध के बाद, राज्य सरकार ने भी गंभीरता से लिया है। राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को पत्र जारी कर प्रदेश भर में मिलावटी कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है।
राज्य औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त ने रविवार को जारी आदेश में सहायक आयुक्त (औषधि) दिनेश कुमार तिवारी ने स्पष्ट किया है कि मीडिया और विभिन्न रिपोर्टों के माध्यम से यह सामने आया कि सर्दी-खांसी के इलाज में उपयोग होने वाले कुछ सिरप छोटी उम्र के बच्चों की जान ले रहे हैं। इन सिरपों में मिलावट या गुणवत्ता की कमी की आशंका जताई गई है।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि, श्रेसन फार्मास्युटिकल मैन्यू फैक्चर, बंगलौर द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप बैच नंबर एसआर-13, मई 2025 में पाए गए डायथायलेन ग्लाइकोल नामक मिश्रण हानिकारक है। दिनेश कुमार तिवारी ने सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे मेडिकल स्टोरों, थोक दवा विक्रेताओं एवं निर्माण इकाइयों पर जाकर कफ सिरप के नमूने संकलित करें और प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजें। जब तक सिरप की परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होती, तब तक इनकी बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं।
संदिग्ध उत्पादों की पहचान होगी
शासन ने औषधि निरीक्षकों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे दुकानों पर रखे कफ सिरप के बैच नंबर, निर्माता कंपनी और वितरण नेटवर्क की जानकारी संकलित करें, जिससे संदिग्ध उत्पादों की पहचान की जा सके। इतना ही नहीं, संकलित कफ सिरप के नमूनों का विवरण गूगल शीट पर देखा जाए, साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि सैंपल प्रदेश में कई बार न लिया गया हो। सैंपल जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा जाए, उक्त आदेश का कड़ाई से अनुपालन किया जाए।
किडनी फेल होने, मौत की घटनाएं आयीं सामने
मध्य प्रदेश की एक लैब रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ नामक कफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीले रसायन की मौजूदगी का खुलासा हुआ है, जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। इस केमिकल के सेवन से मध्य प्रदेश और राजस्थान में अब तक 11 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्री सन फार्मास्युटिकल कंपनी द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल में यह खतरनाक रसायन पाया गया था। यह वही सिरप है, जिसके सेवन से मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल में बच्चों की किडनी फेल होने और मौत की घटनाएं सामने आई हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने की सलाह दी है। मंत्रालय ने कहा है कि दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए, जबकि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को केवल डॉक्टर की सलाह पर ही यह दवा दी जाए। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों की सामान्य खांसी बिना दवा के भी ठीक हो जाती है, इसलिए घरेलू देखभाल और तरल पदार्थों पर ध्यान देना चाहिए।
क्या बोले चिकित्सक
डॉ.राम मनोहर लोहिया संस्थान में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट डॉ.पीयूष उपाध्याय ने बताया कि पांच वर्ष तक के बच्चों को कफ सिरप देना सुरक्षित नहीं होता है। इसमें मौजूद डेक्सट्रोमेथोर्फेन बच्चों में सांस की दिक्कत, चक्कर, उल्टी और बेहोशी की संभावना को बढ़ाता है। अवंती बाई महिला चिकित्सालय लखनऊ के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.सलमान खान का कहना है बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को दवा नहीं देनी चाहिए, जबकि अमूमन देखा गया है कि अस्पताल में आने से पहले बच्चे सिरप का सेवन कर चुके होते हैं। डॉक्टरों को तो सिरप लिखने से बचना ही है, बल्कि अभिवावकों में भी जागरूकता होनी चाहिए।