प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की विभिन्न पदों के लिए प्रस्तावित मुख्य परीक्षा को स्थगित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य परीक्षा तभी आयोजित होगी, जब प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट सूची को विधि सम्मत रूप से पुनः तैयार कर लिया जाएगा। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने रजत मौर्य और 41 अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए पारित किया। उपरोक्त याचिकाओं में आयोग द्वारा घोषित प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को चुनौती दी गई थी। याचियों ने सहायक अभियंता, जिला बागवानी अधिकारी/खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी तथा वरिष्ठ तकनीकी सहायक जैसे विभिन्न पदों के लिए आवेदन किया था।
याचियों की मुख्य आपत्ति यह थी कि अनारक्षित (सामान्य) श्रेणी में ओबीसी उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया, जबकि उन्होंने सामान्य श्रेणी के कई अभ्यर्थियों से अधिक अंक प्राप्त किए थे। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि 609 रिक्तियों के लिए केवल 7358 अभ्यर्थियों को ही अर्ह घोषित करना विज्ञापन के नियमों के विपरीत है और आयोग ने 1:15 के अनुपात का पालन नहीं किया। कोर्ट ने पाया कि आयोग ने आरक्षित श्रेणियों के लिए तो 1:15 के अनुपात में अभ्यर्थियों को शामिल किया, लेकिन अनारक्षित श्रेणी में अपेक्षाकृत कम अभ्यर्थियों को रखा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से बराबर या अधिक अंक लाता है, तो उसे अनारक्षित श्रेणी में स्थान मिलना चाहिए। केवल इस आधार पर कि उसने आरक्षित वर्ग में आवेदन किया है, उसे अनारक्षित श्रेणी से बाहर रखना भेदभावपूर्ण है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षित श्रेणी को दी गई आयु सीमा या आवेदन शुल्क में रियायत मात्र वैधानिक लाभ है। इसका यह अर्थ नहीं है कि सक्षम आरक्षित अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता। समान अवसर और अनुच्छेद 14 के प्रावधानों के तहत जो अभ्यर्थी सामान्य वर्ग की कटऑफ अंक सीमा में आता है, उसे अनिवार्य रूप से उस श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में ऐसा कोई नियम विधिवत रूप से नहीं बनाया गया है कि चयन निकाय पहले अनारक्षित वर्ग की सूची तैयार करे और उसमें वे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी भी शामिल कर ले। जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हों। परंतु यह मौजूदा परिपत्रों और ज्ञापनों तथा विज्ञापन में दी गई शर्तों की व्याख्या का विषय है, जिसे आरक्षण के सिद्धांत और उद्देश्य के अनुरूप तथा सामान्य कानून के आलोक में देखना होगा।
न्यायालयों के उन निर्णयों के आधार पर भी, जिन्होंने उपयुक्त अभ्यर्थियों की सूची बनाने के इस सिद्धांत को यहां तक कि प्रारंभिक परीक्षा में भी मान्यता दी है, इस प्रकार की सूची तैयार करना संभव और अनुमेय माना गया है। अतः कोर्ट ने यूपीपीएससी को निर्देश दिया कि वह विज्ञापन संख्या ए-3/ई-1/2024, दिनांक 10 अप्रैल 2024 के अंतर्गत विज्ञापित 609 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा परिणाम की नई मेरिट सूची तैयार करे। इसके बाद ही मुख्य परीक्षा आयोजित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि यह मुख्य परीक्षा रविवार को प्रस्तावित थी, जिसे अब स्थगित कर दिया गया है।