होटल कारोबारी से 2.5 करोड़ की रंगदारी वसूलने के मामले में जिलाजज चवन प्रकाश की कोर्ट ने बुधवार को अधिवक्ता अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने होटल कारोबारी के खिलाफ सुनियोजित ढंग से सामूहिक दुष्कर्म और पॉक्सो का झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपी ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है।
स्वरूपनगर के होटल कारोबारी सुरेश पाल ने सात अगस्त को अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा के खिलाफ किदवईनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि वर्ष 2021 में अखिलेश ने उन्हें साकेतनगर स्थित अपने कार्यालय बुलाकर कहा था कि कुछ लोग तुम्हें फंसाना चाहते हैं। बचने के लिए रुपये देने होंगे। अगर रुपये नहीं दिए तो झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भिजवा देंगे।
इसके बाद 26 मई 2022 को किदवईनगर की एक युवती ने उनके खिलाफ नौबस्ता में रिपोर्ट दर्ज कराई। हमला, सामूहिक दुष्कर्म, पाक्सो और धमकाने का आरोप लगा था। फिर उनसे पहले पांच करोड़, उसके बाद ढाई करोड़ की मांग की गई। जिसके बाद डर में उन्होंने शहर छोड़ दिया था। कारोबारी का आरोप है कि एक दिन अचानक अखिलेश दुबे की व्हाट्सएप कॉल आई और कहा कि वह आकर मिलो।
गिरफ्तारी की आशंका जताने पर अखिलेश ने भरोसा दिलाया कि गिरफ्तारी नहीं होगी। कारोबारी मिलने पहुंचे तो तब अखिलेश ने मामला रफादफा के लिए रंगदारी मांगी। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी दिलीप अवस्थी के अनुसार बचाव पक्ष की ओर से कोर्ट में कहा गया कि घटना 2021 की बताई गई है, जबकि उसके बाद की किसी तारीख का जिक्र नहीं किया गया है। सिर्फ फंसाने के लिए पुलिस ने वादी से तहरीर लिखवाई है।
अभियोजन ने कहा, झूठा मुकदमा
अभियोजन ने जमानत का विरोध किया। कहा कि आरोपी ने होटल कारोबारी के खिलाफ सोची-समझी योजना के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। रुपये देने के बाद अखिलेश ने बताया कि विवेचक ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी है। यह गंभीर अपराध किया गया है। न्यायालय ने विवेचना के दौरान जुटे साक्ष्य, बयानों को देखते गंभीर प्रकृति का अपराध माना और जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया।