बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं. भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी को चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है. पार्टी अब तक बिहार की 100 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है और शेष सीटों पर भी प्रत्याशियों की तलाश जारी है.
आजाद समाज पार्टी का फोकस खासकर दलित और मुस्लिम वोटबैंक पर है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि यह समीकरण प्रभावित हुआ तो विपक्षी इंडिया गठबंधन को नुकसान हो सकता है और इसका अप्रत्यक्ष फायदा एनडीए गठबंधन को मिल सकता है.
पार्टी की चुनावी रणनीति को मजबूती देने के लिए प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद के नेतृत्व में एक साइकिल यात्रा निकाली जा रही है, जो 3 सितंबर से 15 सितंबर 2025 तक बिहार के विभिन्न जिलों से गुजरेगी. इस यात्रा का उद्देश्य शोषित और वंचित समाज को एकजुट करना, चंद्रशेखर आजाद की विचारधारा को घर-घर तक पहुँचाना और पार्टी के घोषणापत्र को जनता के बीच पहुंचाना है.
03 सितंबर को भागलपुर (विजयपुर) से शुरुआत होगी, इसके बाद 04 सितंबर को नरकटियागंज, 05 सितंबर को बेतिया में जनसभा, 06 सितंबर को मोतिहारी, 07 सितंबर को मधुबनी, 08 सितंबर को दरभंगा, 09 सितंबर को बेगूसराय, 10 सितंबर को वैशाली, 11 सितंबर को रोहतास, 12 सितंबर को सारण, 13 सितंबर को कटिहार और अररिया, 14 सितंबर को अररिया व गोह और अंतिम पड़ाव 15 सितंबर को नवादा के गोविंदपुर में होगा.
इस दौरान पार्टी दलित, पिछड़े, किसान, मजदूर, युवाओं और महिलाओं से संवाद करेगी और उनके मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाएगी. पार्टी का कहना है कि उनकी लड़ाई हाशिये पर खड़े समाज की आवाज़ को विधानसभा तक पहुँचाने की है.
बिहार में आजाद समाज पार्टी का सीधा असर किस पर पड़ेगा, यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे, लेकिन पार्टी की सक्रियता से मुकाबले का गणित जरूर दिलचस्प होता जा रहा है.