धराली त्रासदी में अबतक 5 लोगों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन में 190 लोगों को सुरक्षित निकाला बाहर

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उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के आपदाग्रस्त धराली गांव में मलबे से बचाव दलों ने बुधवार को एक शव बरामद कर लिया जबकि भारी बारिश के बीच जारी राहत एवं तलाश अभियान में 190 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया और इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर उनसे बातचीत कर स्थिति की जानकारी ली.

मंगलवार दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ में करीब आधा गांव तबाह हो गया था. धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. भूस्खलन से धराली जाने वाली सड़कें अवरुद्ध हैं जिससे वहां फंसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है. उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, मलबे से एक शव बरामद हो गया है जिसकी पहचान धराली के रहने वाले 32 वर्षीय आकाश पंवार के रूप में हुई है.

उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, विनाशकारी बाढ़ में चार लोगों की मृत्यु हो गयी. स्थानीय लोगों के अनुसार, बाढ़ में 50 से अधिक लोग लापता हो सकते हैं क्योंकि पानी के अचानक आने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला. लापता लोगों में निकटवर्ती हर्षिल में प्रभावित हुए सेना के एक शिविर के 11 सैनिक भी शामिल हैं. जिला केंद्र ने बताया कि वर्तमान में गंगोत्री धाम में लगभग 400 यात्री हैं, जो सुरक्षित हैं.

देहरादून से लगभग 140 किलोमीटर दूर है धराली

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) ऑपरेशन मोहसिन शहीदी के अनुसार, संघीय आकस्मिक बल की तीन टीम धराली के रास्ते में हैं, लेकिन लगातार भूस्खलन से ऋषिकेश-उत्तरकाशी राजमार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे वहां नहीं पहुंच पा रही हैं. धराली, देहरादून से लगभग 140 किलोमीटर दूर है और आमतौर पर सड़क मार्ग से वहां पहुंचने में पांच घंटे लगते हैं.

शहीदी ने दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि एनडीआरएफ की दो टीम को देहरादून से हवाई मार्ग से ले जाया जाना है लेकिन खराब मौसम इसमें अड़चन पैदा कर रहा है. उन्होंने बताया कि सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के दल प्रभावित क्षेत्र में बचाव अभियान में जुटे हैं और लगभग 150 लोगों को निकाला जा चुका है.

टवाड़ी में मार्ग खुलने का इंतजार कर रही है टीम

शहीदी ने कहा कि आपदा में चार लोगों की मृत्यु होने तथा 50 अन्य के लापता होने की जानकारी उन्हें मिली है. उत्तरकाशी में जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर भूस्खलन से अवरुद्ध है और 200 से ज्यादा बचाव कर्मियों की एक संयुक्त टीम भटवाड़ी में मार्ग खुलने का इंतजार कर रही है.

उन्होंने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी से आगे लिमच्छा गाड़ बरसाती नाले पर बना एक पुल बाढ़ में बह गया, जिससे धराली जा रही बचाव कर्मियों की एक टीम रास्ते में ही फंस गयी है. इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने धामी से फोन पर बातचीत कर धराली में आयी प्राकृतिक आपदा तथा वहां चल रहे बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली. धामी ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार पूरी तत्परता से बचाव एवं राहत कार्यों में जुटी हुई है लेकिन लगातार भारी बारिश के कारण कुछ कठिनाइयां आ रही हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं ताकि पीड़ितों को तुरंत सहायता मिल सके.

सीएम धामी ने राहत कार्यों को तेजी से करने का दिया निर्देश

मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का सर्वेक्षण किया. उसके बाद उन्होंने उत्तरकाशी आपदा नियंत्रण कक्ष से राहत एवं बचाव कार्यों की गहन समीक्षा की . धामी ने प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और सेना के प्रतिनिधियों से भी स्थिति की जानकारी ली और उन्हें राहत कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए.

धामी ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को बताया, ‘‘बचाव कार्य तेजी से चलाया जा रहा है. सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गयी है. करीब 7080 लोगों को बचा लिया गया है…एक सड़क अवरुद्ध है. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी मौके की ओर रवाना हो चुके हैं. यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है क्योंकि अब भी वहां बारिश हो रही है.’’

धामी ने कहा कि भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की गयी है और राशन बांटने और उस पर निगरानी के लिए तीन पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों समेत 160 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी है. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है .

बचाव के लिए भारतीय सेना ने एमआई-17 औैर चिनूक हेलीकॉप्टरों को किया तैयार

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे लिए एक-एक जान कीमती है.’’ प्रदेश के गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि आईटीबीपी, बीआरओ और एसडीआरएफ के 100 से ज़्यादा जवान घटनास्थल पर बचाव अभियान में लगे हुए हैं तथा कई और कर्मी जल्द ही इसमें शामिल होने वाले हैं. फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए भारतीय सेना ने एमआई-17 औैर चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैयार रखा हुआ है जो मौसम साफ होते ही उड़ान भरेंगे. ‘14 राज रिफ’ के कमांडिंग अधिकारी कर्नल हर्षवर्धन 150 सैनिकों की अपनी टीम के साथ मौके पर राहत और बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.

लापता लोगों में 11 सैनिक भी शामिल

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि लापता लोगों में 11 सैनिक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सैनिकों के लापता होने और बेस के प्रभावित होने के बावजूद टीम पूरे साहस और दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है. अधिकारियों ने यहां बताया कि आपदा में हुए जानमाल के भारी नुकसान को देखते हुए राहत एवं बचाव कार्यों तथा क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की तत्काल मरम्मत के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गयी है.

प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक सुनीता टम्टा ने पांच विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को तत्काल उत्तरकाशी पहुंचने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावितों को समय से उचित इलाज उपलब्ध कराया जा सके. इन डॉक्टरों में एक जनरल शल्यचिकित्सक और दो हड्डीरोग शल्यचिकित्सक शामिल हैं.

ऋषिकेश एम्स में 280 जनरल बेड आरक्षित

आपदा के मद्देनजर देहरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों में आईसीयू सहित बिस्तर आरक्षित कर दिए गए हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने बताया कि देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज, कोरोनेशन अस्पताल और ऋषिकेश एम्स में 280 जनरल बेड तथा 90 आईसीयू बेड आरक्षित कर दिए गए हैं ताकि आपदाग्रस्त क्षेत्र से लाए जाने वाले घायलों को तत्काल उपचार मिल सके.

धराली में तीन मनोचिकित्सकों को भी किया तैनात

कुमार ने बताया कि आपदा प्रभावित लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद की संभावना को देखते हुए धराली में तीन मनोचिकित्सकों को भी तैनात किया गया है जो राहत शिविरों में भी जाकर लोगों से संवाद करेंगे. उधर, प्रदेश में विभिन्न जगहों पर बारिश हो रही है जिससे नदियां और नाले उफान पर हैं. हरिद्वार में गंगा नदी खतरे का निशान पार कर गयी है. अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ों और मैदानी इलाकों में लगातार बारिश होने से हरिद्वार में गंगा 294 मीटर के अपने खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर उपर बह रही है.

हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक हेल्प डेस्क किया स्थापित

उन्होंने बताया कि गंगा के किनारे बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है तथा लोगों से फिलहाल नदी से दूरी बनाए रखने की अपील की गयी है. राजाजी बाघ अभयारण्य की मोतीचूर रेंज से गुजरने वाली रेलवे पटरी पर मंगलवार देर शाम भूस्खलन हो गया, जिससे हरिद्वार से ऋषिकेश और देहरादून की ओर जाने वाली ट्रेनों की आवाजाही ठप हो गई. अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक हेल्प डेस्क स्थापित किया गया है.