पीलीभीत: डिब्बे में कोबरा लेकर अस्पताल पहुंचा युवक, डॉक्टरों में मचा हड़कंप

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यूपी के पीलीभीत में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां सांप के काटने से 60 वर्षीय परमेश्वरी दयाल की दर्दनाक मौत हो गई. जबकि इस बीच  उनके 30 वर्षीय नाती वीरपाल ने साहस दिखाते हुए जहरीले कोबरा सांप को पकड़ा, लेकिन इस दौरान सांप ने उसे भी काट लिया. वीरपाल ने हिम्मत नहीं हारी और कोबरा को डिब्बे में बंद कर जिला अस्पताल पहुंच गया, जिससे वहां हड़कंप मच गया. डॉक्टरों ने तत्काल एंटी-वेनम इंजेक्शन देकर वीरपाल की जान बचाई और उसे डिस्चार्ज कर दिया.

जानकारी के मुताबिक घटना पीलीभीत के थाना बिलसंडा क्षेत्र के गांव नवदिया रामपुर की है.यहां बीती 29 जुलाई को 60 वर्षीय परमेश्वरी दयाल को उनके घर में एक जहरीले कोबरा सांप ने काट लिया. परिजनों ने तुरंत स्थानीय चिकित्सकों से संपर्क किया, लेकिन तब तक उनकी मौके पर ही मौत हो चुकी थी. इस घटना से गांव में दहशत फैल गई, क्योंकि सांप घर में ही ईंटों के बीच छिप गया था.

परमेश्वरी दयाल के नाती वीरपाल उर्फ भूरा को इसकी सूचना मिली. बुधवार 30 जुलाई को वीरपाल अपने नाना के घर पहुंचा और कई घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद जहरीले कोबरा को पकड़ लिया. लेकिन रेस्क्यू के दौरान कोबरा ने वीरपाल को भी काट लिया. इसके बावजूद वीरपाल ने हिम्मत दिखाते हुए सांप को डिब्बे में बंद किया और तुरंत अपने हाथ को रस्सी से बांधकर जहर को फैलने से रोका.

अस्पताल में मचा हड़कंप

वीरपाल पहले बीसलपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. जिला अस्पताल में डिब्बे में बंद कोबरा सांप के साथ पहुंचे वीरपाल को देखकर हड़कंप मच गया. डॉक्टरों ने तुरंत सांप की पहचान की और सही एंटी-वेनम इंजेक्शन देकर वीरपाल का इलाज शुरू किया. सुबह से शाम तक वीरपाल को अस्पताल में भर्ती रखा गया, और उसकी हालत स्थिर होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. डॉक्टर अब भी उसकी निगरानी कर रहे हैं, लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

वीरपाल की हिम्मत की हो रही तारीफ

वीरपाल ने बताया कि मुझे फोन आया कि रामपुर नवदिया में मेरे नाना परमेश्वरी दयाल को सांप ने काट लिया, जिससे उनकी मौत हो गई. सभी ने बताया कि सांप अभी भी घर में है. लोग डरे हुए थे, मैंने ग्लव्स पहनकर कोबरा को पकड़ा, लेकिन उसने मुझे काट लिया. मैंने सांप को डिब्बे में बंद किया और बीसलपुर सरकारी अस्पताल गया. वहां से मुझे जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां मेरी जान बच गई.

मैंने यह काम बंगाल में अपने नाना के घर सीखा था. वीरपाल की हिम्मत की हर तरफ तारीफ हो रही है. स्थानीय लोग और परिजन उनके साहस को सलाम कर रहे हैं.