उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है और संगम नगरी प्रयागराज भी इससे अछूता नहीं है. यहां गंगा और यमुना नदियों में आई बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. शनिवार सुबह 10 बजे गंगा और यमुना दोनों नदियों ने खतरे के निशान 84.734 मीटर को पार कर लिया.
फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 84.76 मीटर, छतनाग में 84.13 मीटर और नैनी में यमुना का जलस्तर 84.78 मीटर दर्ज किया गया. तेजी से बढ़ते जलस्तर ने हालात को और गंभीर बना दिया है. गंगा नदी जहां 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है, वहीं यमुना नदी का जलस्तर 5 सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से ऊपर जा रहा है.
बाढ़ की वजह से जलमग्न हुआ इलाका
बाढ़ के कारण छोटा बघाड़ा, सलोरी, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, बेली कछार, सदियापुर, अरैल और महेवा जैसे निचले इलाकों में पानी भर गया है. सैकड़ों घर जलमग्न हो चुके हैं और लोगों को अब नावों के सहारे आना-जाना पड़ रहा है. झूंसी क्षेत्र के बदरा-सुनौटी गांव का भी संपर्क शहर से पूरी तरह कट गया है.
प्रशासन ने बाढ़ राहत शिविर स्थापित कर सैकड़ों परिवारों को शरण दी है. शिविरों में लोगों को भोजन, बच्चों के लिए दूध, दवाइयां और अन्य जरूरी सुविधाएं मुफ्त में मुहैया कराई जा रही हैं. वहीं, जिन लोगों ने अब भी अपने घर खाली नहीं किए हैं, उन्हें निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं.
एनडीआरएफ ने लोगों को बचाया
एनडीआरएफ की टीमों ने गंगानगर इलाके में एक मंजिल तक डूबे घरों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है. कई लोग अब भी अपने घरों की रखवाली के लिए पहली मंजिल पर रह रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ा, कई परिवार खुद प्रशासन से मदद की गुहार लगाने लगे. टीमों ने महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों के साथ-साथ एक गाय को भी रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
सुबह से लेकर अब तक सैकड़ों लोगों को बचाया जा चुका है, लेकिन राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है. प्रभावित इलाकों में लोग अपने सिर पर सामान लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जाते नजर आ रहे हैं. प्रयागराज के बड़े हिस्से में बाढ़ का गहरा असर देखा जा रहा है और प्रशासन हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है.