उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला जो कि सिस्मिक जोन-4 में आता है और भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. गौतमबुद्ध नगर में बड़े स्तर पर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया. इस अभ्यास का उद्देश्य न केवल आपदा प्रबंधन तंत्र की तैयारियों की जांच करना था, बल्कि आमजन को जागरूक करना भी था.
जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, स्वास्थ्य विभाग, रेडक्रॉस और फायर डिपार्टमेंट की संयुक्त टीमों ने पांच स्थानों पर मॉक ड्रिल में भाग लिया. यह आयोजन जिम्स आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रेटर नोएडा, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा. लि., सावित्रीबाई फुले बालिका इंटर कॉलेज, WHO टाउनशिप गुरजिंदर विहार और विकास भवन सूरजपुर में किया गया.
भूकंप का सायरन बजने पर भगदड़
ग्रेटर नोएडा स्थित एलजी कंपनी में जैसे ही भूकंप की सूचना का सायरन बजा, कंपनी परिसर में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि यह एक मॉक ड्रिल का हिस्सा था, लेकिन दृश्य बिल्कुल वास्तविक आपदा जैसा प्रतीत हुआ. मौके पर पुलिस बल, फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और आपातकालीन सेवा दल तेजी से पहुंचे और आपदा स्थिति से निपटने का अभ्यास किया.
इस दौरान डीएम मेधा रूपम स्वयं मौके पर उपस्थित रहीं और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया. उन्होंने आपदा से निपटने के लिए कर्मचारियों, बचाव दल और आम लोगों की प्रतिक्रिया को करीब से देखा.
मॉकड्रिल का उद्देश्य लोगों का जागरूक करना
नोडल अधिकारी आपदा प्रबंधन ने बताया कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य केवल सरकारी विभागों की तैयारियों का मूल्यांकन करना नहीं है, बल्कि आम जनता को यह भी सिखाना है कि आपदा के समय घबराएं नहीं, बल्कि सतर्कता और समझदारी से हालात का सामना करें. इस अभ्यास में स्कूली बच्चों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया, जिससे उन्हें भी प्रारंभिक स्तर पर आपदा से निपटने का व्यवहारिक अनुभव मिला.
गौतमबुद्ध नगर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस प्रकार की मॉक ड्रिल न केवल प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है, बल्कि यह एक जरूरी पहल भी है जो भविष्य की किसी भी अनहोनी से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इस तरह के अभ्यास जनता में विश्वास पैदा करते हैं और एक संगठित आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं.