यूपी के गोरखपुर में छात्र संघ चुनाव की मांग जोर पकड़ने लगी है. गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है. शनिवार को एक छात्र नेता सुबह विश्वविद्यालय पहुंचा और मिट्टी में अर्ध समाधि लेकर प्रदर्शन करने लगा.
विश्वविद्यालय प्रशासन और वहां पहुंचे पुलिस के जवानों ने भी उसे और अन्य छात्र नेताओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं मानें. दोपहर में चार से पांच घंटा बीत जाने के बाद प्रदर्शन कर रहे छात्र की हालत बिगड़ने लगी. उसे सांस लेने में दिक्कत के साथ उसके पैर सुन्न होने लगे. आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराना पड़ा.
चुनाव को लेकर छात्रों का प्रदर्शन
गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाल करने और चुनाव कराने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन का दौर जारी है. साल 2006 में हुए छात्रसंघ चु नाव में श्रीकांत मिश्रा अध्यक्ष चुने गए थे. उसके बाद 10 साल तक चुनाव नहीं हुए. साल 2016 कुलपति अशोक कुमार के कार्यकाल में छात्रसंघ चुनाव हुए. उसमें अमन यादव छात्रसंघ अध्यक्ष हुए.
इसके बाद से लगातार छात्र संघ चुनाव की मांग उठती रही, लेकिन किसी भी कुलपति ने छात्रसंघ बहाल करने में रुचि नहीं दिखाई. एक बार फिर गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रनेताओं द्वारा छात्रसंघ चुनाव को लेकर लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है.
छात्रनेता ने क्या कहा?
छात्रनेता दिव्यांशु पाण्डेय ने बताया कि वो शनिवार 26 जुलाई को छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदर्शन करने के लिए विश्वविद्याल पहुंचा और साथ में आए छात्रनेताओं और समर्थक छात्रों के साथ गड्ढा खोदकर प्रदर्शन के लिए उसमें उतर गया और मिट्टी में खुद को आधा दबाकर प्रदर्शन करने लगा. उसकी मांग को विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनसुना कर दिया.
इसके बाद वहां पहुंचे विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस ने उसे बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन वो नहीं माना. दोपहर बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी. उसके पैर सुन्न होने लगे और सांस भी फूंलने लगी. इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
विश्वविद्यालय प्रशासन पर लगाए यह आरोप
छात्रनेता अनिल दुबे ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रसंघ को समाधि दे दिया है, उसी तरह से वे लोग सांकेतिक रूप से अर्ध समाधि ले रहे हैं. जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति की आंख खुल सके.
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी बात मान ले. उन्हें पूरा विश्वास है कि सरकार और शासन-प्रशासन के साथ विद्यालय प्रशासन भी उनकी मांग को अति शीघ्र मानकर छात्र संघ को बहाल करेगा और जल्द ही छात्र संघ चुनाव होंगे. ऐसा नहीं होता है तो सभी छात्रनेता पूर्ण समाधि लेने को मजबूर होंगे और बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.