7 दिन बाद यमन में फांसी पर लटका दी जाएगी भारत की नर्स निमिषा प्रिया! क्यों दी जा रही सजा-ए-मौत

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निमिषा प्रिया, भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं. एक गरीब परिवार से आने वाली निमिषा ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की और 2011 में यमन में नौकरी के लिए गईं. उनके माता-पिता ने मजदूरी करके उन्हें विदेश भेजा ताकि वह एक बेहतर भविष्य बना सकें. हालांकि, यमन पुलिस ने निमिषा प्रिया को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. यह मामला 2017 में दर्ज हुआ और 2018 में यमन की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी. तब से निमिषा यमन की जेल में कैद हैं और अब 16 जुलाई 2025 को उनकी फांसी तय की गई है. इस समयावधि के अंदर उन्हें राहत मिल पाना न केवल कठिन है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय प्रयासों पर भी निर्भर है.

यमन की राजधानी सना’आ में उन्होंने नर्स के तौर पर काम करना शुरू किया. उनके काम में सफलता के बाद उन्होंने 2015 में एक निजी मेडिकल क्लिनिक खोला. इस क्लिनिक को खोलने में उनकी मदद एक यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी ने की जो उनके क्लिनिक का स्थानीय स्पॉन्सर था. हालांकि यह सफलता ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई. जल्द ही उनकी जिंदगी एक त्रासदी में बदल गई, जब कथित तौर पर वही स्पॉन्सर उनकी जिंदगी में ज़ुल्म का प्रतीक बन गया.

तालाल अब्दो महदी का अत्याचार

निमिषा प्रिया की जिंदगी यमन में बेहद कठिन हो गई थी. तालाल अब्दो महदी ने उनके साथ धोखाधड़ी करते हुए कथित तौर पर खुद को जाली दस्तावेजों के जरिए उनका पति घोषित कर दिया. इसके बाद वह उसका पासपोर्ट जब्त कर लियाशारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने लगाधमकी देने और पैसे ऐंठने लगा. इस भयावह दौर में निमिषा न केवल सहमी हुई जिंदगी जी रही थीं, बल्कि उन्होंने बार-बार भारत लौटने की कोशिश की, लेकिन बिना पासपोर्ट के वह ऐसा नहीं कर सकीं. 2017 में उन्होंने तालाल से बचने और यमन से भागने की योजना बनाई. योजना के अनुसार, वह तालाल को बेहोश करके पासपोर्ट लेना चाहती थीं, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण तालाल की मृत्यु हो गई. यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा ही उनकी वर्तमान स्थिति का कारण बन गया.

भारत सरकार और मानवाधिकार संगठनों की सक्रियता

भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. विदेश मंत्रालय ने यमन सरकार से संपर्क किया है और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से निमिषा की सजा को रोकने या कम करने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही कई मानवाधिकार संगठन, विशेष रूप से भारत और खाड़ी देशों में काम करने वाले प्रवासी संगठनों ने भी आवाज उठाई है. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि निमिषा पूर्व-निर्धारित हत्या की दोषी नहीं हैं. उनके साथ घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना हुई. यह मामला आत्मरक्षा की श्रेणी में आता है. भारत सरकार द्वारा दया याचिका और क्षमादान की मांग की जा रही है, ताकि यमन की सरकार मानवीय आधार पर इस मामले पर दोबारा विचार करे.

निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ब्लड मनी

हालांकि पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे के रूप में भी जाना जाने वाला ‘ब्लड मनी‘ का विकल्प खुला था, लेकिन राशि हमेशा परिवार की तरफ से तय की जाती है. निमिषा के लिए न्याय की मांग करने वाले राजनेताओं, व्यापारियों, कार्यकर्ताओं और प्रवासियों के मंच का हिस्सा रहे वकील सुभाष चंद्रन ने कहा कि कोच्चि में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली प्रिया की मां ने केस लड़ने के लिए अपना घर बेच दिया