उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी- JPNIC) को लेकर योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने इस इमारत को लखनऊ विकास प्राधिकरण को सौंप दिया है.
जानकारी के अनुसार अब लखनऊ विकास प्राधिकरण, JPNIC की मरम्मत कराएगा और फिर उसे संचालित करने की जिम्मेदारी भी LDA को सौंपी गई है. योगी कैबिनेट में फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जेपीएनाइसी सोसाइटी को बंद कर उसे लखनऊ विकास प्राधिकरण को स्थानांतरित किए जाने का प्रस्ताव पास हुआ है.
बता दें JPNIC सपा चीफ अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसका निर्माण वर्ष 2016 में तत्कालीन सपा सरकार द्वारा कराया गया था. उस वक्त इसके निर्माण में 864 करोड़ की लागत आई थी. वर्ष 2017 तक इस केंद्र का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था. यह इमारत 18 मंजिला है. इसमें पार्किंग, म्यूजियम, बैडमिंटन कोर्ट, लॉन टेनिस खेलने की व्यवस्था है. इस भवन में गेस्ट हाउस बनाया गया है और एक ऑल वेदर स्वीमिंग पूल भी है. इस पर एक हेलीपैड भी है. .
क्यों दीवार फांदे थे अखिलेश?
गौरतलब है कि यह वही इमारत है जिसके अंदर जय प्रकाश नारायण की प्रतिमा लगी है. इसी प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए अखिलेश, इमारत के भीतर जाना चाहते थे. हालंकि मौके पर पुलिस और प्रशासन की घेराबंदी और गेट पर टीन शेड लगा दिया था. इसके बाद 11 अक्टूबर 2023 को सपा चीफ इस इमारत में दीवार फांद कर गए थे. उस वक्त इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.
जेपीएनआईसी को लेकर सपा और बीजेपी ने काफी बहस हुई थी. सपा ने दावा किया था कि सरकार इसको निजी हाथों में बेच देगी. वहीं बीजेपी का दावा था कि इमारत की नींव से निर्माण तक जमकर भ्रष्टाचार हुआ था.