भारतीय वायुसेना ने जिस स्पीड और प्लानिंग के साथ 10 मई की रात पाकिस्तान में चार एयर स्ट्राइक कीं, उसने न केवल ‘दुश्मन’ मुल्क के एयर डिफेंस सिस्टम को तहस-नहस कर दिया, बल्कि उसे केवल आठ घंटे में ही सीजफायर की भीख मांगने पर मजबूर कर दिया. राफेल और SU-30 MKI जैसे अपग्रेडेड फाइटर जेट का इस्तेमाल करना भारतीय सेना की सफल कूटनीति को दर्शाता है.
इस दौरान भारतीय सेना ने SCALP और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जो अपनी स्पीड और सटीक टारगेट के लिए जानी जाती हैं. ये मिसाइलें पाकिस्तान सेना के एयरबेसों पर कहर बनकर टूटीं. भारतीय सेना ने पहलाम टारगेट चकलाला के नूर खान एयरबेस को बनाया, जिसने पाकिस्तान के नॉर्थ एयर कमांड कंट्रोल नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद जैकोबाबाद और भोलारी एयरबेस पर अंतिम हमले हुए. इस तरह से पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के झूठे कसीदे पढ़वाने का भारतीय सेना ने पर्दाफाश कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने 10 मई को रात 1 बजे ऑपरेशन बनयान अल-मर्सूस की शुरुआत की थी, जिसमें वादा किया गया था कि 48 घंटों में भारत की वायुसेना को तबाह कर दिया जाएगा, लेकिन यह अभियान सुबह 9:30 बजे ही समाप्त हो गया. भारतीय मिसाइलों की बौछार ने पाकिस्तान के आत्मविश्वास को चकनाचूर कर दिया. S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का सफल इस्तेमाल भारत को पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमले से बचाने में कामयाब रहा. आदमपुर में तैनात इस सिस्टम ने पाकिस्तान के SAAB-2000 AWACS को 315 किलोमीटर दूर मार गिराया. इसी अभियान में C-130J, JF-17 और दो F-16 लड़ाकू विमान भी भारतीय मिसाइलों का शिकार बने.
भारतीय मिसाइलों की PAK के चाइनीज हथियारों पर जीत
भारतीय वायुसेना ने लक्ष्य चूकने से बचने के लिए SCALP और ब्रह्मोस दोनों मिसाइलों का मिलाकर इस्तेमाल किया. 7 मई को नौ आतंकवादी शिविरों पर हमले में मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी फैक्ट्रियों को नष्ट कर दिया गया. यह हमला सटीक निर्देशित हथियारों के माध्यम से हुआ, जिसने पाकिस्तान के आतंकी बुनियादी ढांचे को गहरी चोट दी. लाहौर में किए गए एक हमले में HARPY कमिकेज़ ड्रोन का उपयोग कर चीन निर्मित LY-80 वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट किया गया. इसके अलावा, कराची के मलिर क्षेत्र में बेशकीमती HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम (चीनी S-300 संस्करण) भी भारतीय मिसाइलों का निशाना बना.
नौसेना की तैनाती और कराची पर संभावित हमला
10 मई की सुबह भारतीय नौसेना का बेड़ा मकरान तट से 260 मील दूर तैनात था और कराची नौसेना बंदरगाह को निशाना बनाने की तैयारी में था. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने ब्रह्मोस मिसाइलों के हमले के खिलाफ चेतावनी दी, लेकिन भारतीय नेतृत्व इससे विचलित नहीं हुआ. दोपहर तक पाकिस्तान ने खुद को इतना असहाय पाया कि नो-फायर संधि की मांग कर डाली. यह दर्शाता है कि भारतीय सैन्य बलों की प्रतिक्रिया कितनी तेज और रणनीतिक थी.