BBAU में अंबेडकर की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ

Lucknow
  • बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में ‘विश्वविद्यालय स्थापना दिवस’ एवं ‘बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती’ की पूर्व संध्या पर हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन

  बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 13 अप्रैल को ‘विश्वविद्यालय स्थापना दिवस’ एवं ‘बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जयंती’ की पूर्व संध्या पर ‘बाबासाहेब की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं’ विषय पर आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर मुख्य अतिथि एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम कुमार श्रीवास्तव, बीज वक्ता एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय गुप्ता एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अजय सिंह कुशवाहा उपस्थित रहे। मंच संचालन का कार्य डॉ. रमेश चंद्र नेलवाल द्वारा किया गया।

विवि कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान निर्माण, प्रज्ञा, शील एवं करुणा के साथ नवभारत की संकल्पना, हाशिये पर खड़े वर्गों के अधिकारों की प्राप्ति हेतु संघर्ष एवं शिक्षा के पुनर्जागरण जैसे कार्यों में बाबासाहेब का योगदान अतुलनीय रहा है, जिसे भुलाना असंभव है। प्रो. मित्तल ने बताया कि बाबासाहेब का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से केवल व्यक्तित्व एवं चारित्रिक विकास ही नहीं बल्कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव है और व्यक्ति से ही समाज का निर्माण होता है।  मुख्य अतिथि अनुपम कुमार श्रीवास्तव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि किसी भी देश के सफल सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक विकास के लिए संविधान जरूरी होता है और हमारे देश के पास तो संविधान के शिल्पकार के रूप में बाबासाहेब जैसे अमूल्य रत्न रहे है, जिन्होंने समानता और स्वतंत्रता को भाईचारे के साथ जोड़ने का कार्य किया है।

बीज वक्ता एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. संजय गुप्ता ने चर्चा के दौरान कहा कि महू के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाले प्रखर अर्थशास्त्री, स्वतंत्र भारत के वास्तुकार, सामाजिक कार्यकर्ता, महान शिक्षाविद एवं कूटनीतिज्ञ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का व्यक्तित्व गहरे कुंए की भांति है, आप जितना इसकी गहराईयों को जानने का प्रयास करेंगे, आपको उतना ही बहुमुखी प्रतिभा वाला व्यक्तित्व देखने को मिलेगा।  डॉ. अर्पित शैलेश ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी के दौरान दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने ‘बाबासाहेब की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं’ से संबंधित विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र प्रस्तुत किये। प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. शशि कुमार एवं द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. विनोद खोबरागड़े द्वारा की गयी।