वक्फ संशोधन बिल को लेकर राष्ट्रीय लोकदल (RLD) में अंदरूनी घमासान की खबरें सामने आने लगी हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी द्वारा बिल का समर्थन करने पर कुछ नेताओं ने नाराजगी जताई और इस्तीफा दे दिया. लेकिन अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने इन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि हापुड़ जिले के आरएलडी महासचिव मोहम्मद ज़की और प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने वक्फ संशोधन बिल के समर्थन पर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दे दिया. बताया गया कि दोनों नेता इस बात से बेहद नाराज थे कि पार्टी और जयंत चौधरी ने संसद में बिल का समर्थन क्यों किया.
कोई भी जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं है नाराज
इन खबरों पर जब ABP न्यूज़ ने आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे से बात की, तो उन्होंने साफ कहा कि जिन लोगों के इस्तीफे की बात हो रही है, वे ना तो पार्टी के सदस्य हैं और ना ही किसी पद पर हैं. दुबे ने कहा, “यह खबरें पूरी तरह भ्रामक हैं. कोई भी ज़िम्मेदार पदाधिकारी नाराज़ नहीं है. पार्टी पूरी तरह एकजुट है.”
रालोद ने नेता अनिल दुबे ने कहा कि, “यह कहना पूरी तरह गलत है कि किसी ने वक्फ संशोधन बिल के समर्थन की वजह से इस्तीफा दिया है. अल्पसंख्यक पहले भी आरएलडी के साथ मजबूती से खड़ा था और आज भी खड़ा है. पार्टी का कोई भी पदाधिकारी नाराज नहीं है. कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं.”
क्या है वक्फ संशोधन बिल?
वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके अधिकारों को लेकर यह बिल संसद में पेश किया गया था. कई विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए, लेकिन RLD ने इसका समर्थन कर दिया. इसी को लेकर विवाद की स्थिति बनी और खबरें आने लगीं कि पार्टी के कुछ मुस्लिम पदाधिकारी नाराज हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयंत चौधरी द्वारा बिल का समर्थन करने के पीछे उनका NDA के साथ बढ़ता समीकरण भी हो सकता है. हाल ही में वह एनडीए की बैठकों में सक्रिय नजर आए हैं और RLD का रुख अब बीजेपी के साथ ज्यादा तालमेल वाला दिखाई दे रहा है. हालांकि आरएलडी ने इस विवाद पर तुरंत सफाई देते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में किसी तरह की कलह नहीं है और अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन उन्हें आज भी हासिल है.