हैदराबाद की पुलिस के फैसले पर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं उनके जज्बे को प्रणाम करती हूं। उन्होंने बहुत सही किया। मैं सात साल से लड़ रही हूं। सुप्रीम कोर्ट ने ढाई साल पहले सजा दे दी थी। लेकिन मुझे अभी भी बताया जा रहा है कि उनके राइट्स अभी बाकी है। सात साल बाद भी अभी तक फैसला नहीं हुआ।
अगर पुलिस की कस्टडी से वो चार मुल्जिम भाग जाते तो लोग कहते कि पुलिस ने सही काम नहीं किया। आज जब पुलिस ने सही किया तो उनको पच नहीं रहा। उन्होंने कहा जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो मेरे जैसे पीड़ित नहीं हैं। मैंने सात साल बहुत धैर्य के साथ न्यायिक लड़ाई लड़ी है। मेरी बच्ची 10 दिन तक जिंदा रही मैंने उसको तिल तिल कर मरते देखा है। पर उन दरिंदों को अब तक फांसी नहीं दी गई।
आपको बता दें कि दिल्ली में दिसंबर 2012 में भी एक बस में दामिनी के साथ गैंगरेप के बाद उसे मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया गया था। दिल्ली के एम्स में इलाज के दौरन दामिनी की मौत हो गई थी जिसके बाद पूरा देश में आक्रोश देखा गया। कई नए कानून आए, लेकिन आरोपियों को अब तक फांसी की सजा नहीं दी जा सकी।
