उत्तर प्रदेश की सियासत में अपने वोट बैंक की तलाश में जुटी मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में दरकिनार कर अपने लिए एक और मुसीबत मोल ले ली है. अब इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या मायावती के भतीजे आकाश आनंद ख़ुद मायावती के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे और अब वो ख़ुद चंद्रशेखर की राह पर चल पड़ेंगे, जिससे मायावती की बची-खुची ताकत भी खत्म हो जाएगी.
आकाश आनंद के राजनीतिक भविष्य को समझने के लिए आपको उन परिस्थितियों को समझना चाहिए, जिनमें चंद्रशेखर दलितों के नेता बने और इतने बड़े हो गए कि मायावती के उम्मीदवार उतारने के बावजूद उन्होंने नगीना लोकसभा सीट से निर्दलीय ही जीत दर्ज कर ली और सांसद बन गए, जबकि मायावती का लोकसभा में खाता भी नहीं खुला और विधानसभा में भी जो एक सीट मिली उसकी वजह मायावती नहीं बल्कि ख़ुद उमाशंकर सिंह थे, जिनका अपना वोट बैंक था.
चंद्रशेखर दलितों के नेता तब बने, जब मायावती अपनी सियासत के उत्तरार्ध में पहुँच गईं. 2007 से 2012 तक अपने दम पर यूपी में सरकार बनाने वाली मायावती 2012 के विधानसभा चुनाव में 80 सीटों पर सिमट कर सत्ता से बाहर हो गईं. इसके ठीक दो साल बाद जब लोकसभा के चुनाव हुए तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की आंधी चली, जिसमें बसपा पूरी तरह से साफ़ हो गई और उसे एक भी सीट नहीं मिली. दलित नेतृत्व के इस गैप को भरने के लिए चंद्रशेखर आगे आए और उन्होंने साल 2015 में बनाई भीम आर्मी. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की आंधी चली और बसपा 19 सीटों पर सिमट गई.
सीएम योगी के खिलाफ जब्त हो गई थी चंद्रशेखर की जमानत
इस दौरान चंद्रशेखर लगातार आंदोलन करते रहे, जेल जाते रहे और दलितों की आवाज़ उठाते रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा -बसपा के गठजोड़ के बाद भी जब बसपा 10 सीटों पर ही सिमटी रही तो इसके अगले ही साल चंद्रशेखर ने तय किया कि अब वो राजनीति में उतरेंगे, क्योंकि मायावती के पास अब वो सियासी ताक़त नहीं है कि दलित उनके भरोसे रह सकें. पार्टी बनाने के बाद चंद्रशेखर ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा और वो भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़, जहां उनकी ज़मानत जब्त हो गई.
साल 2024 में चंद्रशेखर ने नगीना की लोकसभा सीट जीतकर न सिर्फ ख़ुद को लोकसभा में स्थापित किया बल्कि दलित समाज के लिए एक नए नेतृत्व की भी पेशकश कर दी. इस सियासी पारी के दौरान चंद्रशेखर ने कई बार मायावती से मुलाक़ात करनी चाही, उनसे गठबंधन करना चाहा, उनके साथ रहना चाहा, लेकिन मायावती ने हमेशा इन्कार किया और चंद्रशेखर इस सियासी मैदान में एकला ही चल पड़े, जिसमें उन्हें जीत भी हासिल हुई.
अब चंद्रशेखर वाली चुनौती ही मायावती के भतीजे आकाश आनंद के पास भी है. आकाश आनंद भी 2017 से राजनीति में सक्रिय हैं. मायावती के मंच से अपनी राजनीति शुरू करने वाले आकाश आनंद को मायावती ने न सिर्फ अपना उत्तराधिकारी बनाया, बल्कि उन्हें बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर भी बनाया था. राजनीति में सक्रिय हुए आकाश आनंद जब 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनके भाषण वायरल होने लगे. वो भरे मंच से पीएम मोदी को ललकारने लगे और मौजूद जनता तालियां बजा-बजाकर जताने लगी कि अब उन्हे उनका नेता मिल गया है, जो खुलकर बात करता है.