उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए अच्छी खबर हैं. प्रदेश सरकार ने ऐसे शिक्षकों को भी कर्मचारी भविष्य निधी यानी EPF और जीवन बीमा की सुविधा देने के नियम को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं. अभी तक प्रदेश के कई निजी स्कूलों में शिक्षकों को इस तरह की सुविधा नहीं दी जाती है और न ही उनके मानदेय को बैंक खाते में भेजा जाता है. प्रशासन के निर्देश के बाद अब इन तमाम स्कूलों की जांच कराई जाएगी.
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार को चिट्ठी लिखकर इस अव्यवस्था की जानकारी दी थी, जिसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से सभी जिलों के निजी स्कूलों की जांच कराए जाने की तैयारी की जा रही है. विभाग इस मुद्दे को लेकर सख्त हो गया है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ महेंद्र देव ने सभी जिला निरीक्षकों को इस संबंध में जरूरी निर्देश दिए हैं और कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले मानदेय को लेकर 10 अगस्त 2001 के शासनादेश को सख्ती से लागू करने को कहा है.
निजी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर सख्त निर्देश
शिक्षा निदेशक ने साफ कहा कि निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले तय मानदेय से किसी भी कीमत पर कम मानदेय नहीं दिया जाए. कुशल श्रमिकों को 13,186 रुपये न्यूनतम मानदेय देने की व्यवस्था हैं. बावजूद इसके ये देखने में आया है कि कई स्कूलों में शिक्षकों को कम वेतन दिया जा रहा है. उन्हें न तो ईपीएफ की सुविधा दी जाती है और न ही जीवन बीमा की. यहीं नहीं उनसे ज्यादा काम लिया जाता है और वेतन भी नगद दिया जा रहा है.
वहीं इस मामले पर यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें ईपीएफ और जीवन बीमा जैसी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है अगर डीआईओएस द्वारा इन स्कूलों पर सख्ती की जाएगी तो इससे शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी.