वोटर्स को लुभाने में लगे नेतागण, दिल्ली में आ रहे महंगे ‘उपहार’

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अभिषेक राय

(www.arya-tv.com) राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से उम्मीद की जाती है कि वे विकास के मुद्दों व अपनी कल्याणकारी योजनाओं से मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित करें, जिससे शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव हो सके। दूसरी ओर मतदाताओं की भी जिम्मेदारी है कि वे मुद्दों के आधार पर मतदान करें। राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों को अपने वोट की कीमत तय करने का अधिकार न दें। लेकिन चिंताजनक यह है कि चुनाव के अवैध तरीके से भारी भरकम नकदी के साथ-साथ शराब, नशीले पदार्थों, आभूषण, महंगे उपहार आदि की खेप राजधानी में पहुंच रही है। इससे देश की राजधानी में हो रहे चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। दूसरी ओर संबंधित एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर नकदी, शराब और कीमती सामानों की जब्ती भी कर रही हैं।
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता के उल्लंघन में अब तक 738 केस दर्ज किए गए हैं। सभी मामले सात जनवरी से 26 जनवरी के बीच दर्ज किए गए। इनमें पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता भी शामिल हैं। अभी तक 364 अवैध हथियार व 445 कारतूस बरामद किए गए। 20 दिन के दौरान 1.8 करोड़ की 61.610 लीटर अवैध शराब, 72 करोड़ के 156.411 किलो अलग-अलग तरह के नशीले पदार्थ बरामद किए गए हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में यह थी स्थिति
2015 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2020 के विधानसभा चुनाव में एजेंसियों ने नकदी सहित 24.50 गुना अधिक कीमत के सामान जब्त किए थे। इसमें शराब, सोना, आभूषण, कीमती उपहार के सामान आदि शामिल थे। वहीं, नकदी की बात करें तो 2015 के चुनाव की तुलना में करीब 30 गुना से अधिक नकदी 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान पकड़ी गई थी। तब 12.80 करोड़ रुपये नकदी विभिन्न एजेंसियों ने पकड़ी थी। इसके अलावा शराब, नशीले पदार्थ, कपड़े, महंगे सामान इत्यादि भी पकड़े गए थे। इन सबको मिलाकर कीमत 59 करोड़ से अधिक थी।

पिछले चुनाव में आप ने सबसे ज्यादा किया था खर्च
चुनावी खर्चों पर चुनाव आयोग की नजर होती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में नियमों के दायरे में रहकर आम आदमी पार्टी ने अन्य पार्टियों की तुलना में सबसे ज्यादा खर्च किया था। आप ने तब 11,98,16,306 रुपये खर्च किए थे। वहीं, दूसरे नंबर पर भाजपा ने 9,81,98,122 रुपये और कांग्रेस 7,00,53,562 रुपये खर्च किए थे। यह खर्च नियमों के दायरे में था।