ट्रंप के कुर्सी पर बैठते ही भारत की खुलेगी किस्मत! …कहीं इसी कारण इंडिया के पीछे तो नहीं दौड़ रहा चीन?

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(www.arya-tv.com) अमेरिका में नए साल में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ जाएंगे. इससे पहले वह अपनी टीम बनाने में व्यस्त हैं. उन्होंने कई अहम पदों पर भारत के करीबी लोगों की नियुक्ति की है. दूसरी तरफ भारत और चीन के बीच बीते माह यानी अक्टूबर से रिश्तों को सुधारने की जोरदार कोशिश चल रही है. बीते माह दोनों देशों ने एलएसी के विवाद वाले हिस्से से अपनी-अपनी सेना वापस बुला ली. फिर रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत हुई. अब ब्राजील में जी20 देशों की बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई. चीन के अधिकारी भारत के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए लगातार जोर लगा रहे हैं.

अमेरिकी फैक्टर
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है. उन्होंने सत्ता संभालने से पहले ही इसकी झलक दे दी है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनते ही वह चीन से होने वाले सभी आयात पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेंगे. उनका कहना है कि वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग स्थन नहीं बनने देंगे.

भारत की खुलेगी किस्मत
इस बारे में सीएनएन न्यूज के जाने माने होस्ट और पॉलिटिकल एनालसिस्ट फरीद जकारिया का कहना है कि ट्रंप की यह नीति भारत के लिए शानदार मौका है. इससे भारतीय प्रोडक्ट के लिए बाजार मिलेगा. इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऐसे में भारत के लिए यह सबसे उचित समय है कि वह अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड समझौते को लेकर बात करे. उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह सुनहरा मौका है. ट्रंप ने भारत सहित दुनिया से होने वाले आयात पर 10 से 20 फीसदी जबकि चीनी सामानों पर 60 से 100 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही है.

भारत चीन संबंध
अमेरिका से मिलने वाले संभावित झटके के कारण चीन अब भारत से दोस्ती की कोशिश में जुटा है. इस वक्त भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है. चीन के लिए भारत दुनिया का एक बड़ा बाजार है. वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है. वैसे चीन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. बीते साल 2023 में उसका कुल निर्यात 3.38 ट्रिलियन डॉलर का रहा. भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही करीब 3.5 ट्रिलिनय डॉलर की है. चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है. यूरोपीय संघ भी उसका एक सबसे बड़ा साझेदार है. लेकिन भारत दुनिया में एक उभरता हुआ बाजार है.