निकलेगी बंथरा बाला जी मंदिर की शोभा यात्रा

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) श्री बाला जी venkteswar मंदिर से जारी की गयी  एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आने वाले १९ अक्टूबर को शनिवार के दिन एक भव्य शोभा यात्रा निकालने की तय्यारी है. इस विज्ञप्ति के अनुसार यह शोभा यात्रा  दोपहर २ बजे मंदिर से निकल कर बंथरा गाँव होते हुए बंथरा चौराहे से होते हुए बंथरा बाजार कि की ओर चल कर वहां से मुड कर लखनऊ हॉस्पिटल तक जाएगी .यात्रा हनुमान मंदिर होते हुए बंथरा थाने के सामने से  आ कर मंदिर पर  समाप्त होगी.

इस शोभा यात्रा में अनेक भक्तों और स्थानीय निवासियों के शामिल होने की सम्भावना है

लखनऊ कानपुर मार्ग पर  एक छोटा सा कस्बा आता है जिसे बंथरा के नाम से जाना जाता है  चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से 13 किलोमीटर दूर, आप तिरुमाला में प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के समान निर्मित एक नया भव्य मंदिर देख सकते हैं। लखनऊ-कानपुर रोड पर बंथरा क्षेत्र में लगभग 27 हजार वर्ग फुट के भूखंड पर दक्षिण भारत से बुलाए गए कारीगरों और विशेषज्ञों द्वारा निर्मित, यह मंदिर अब भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों के लिए सबसे मूल्यवान उपहार है। मंदिर मे भगवान वेंकटेश्वर, देवी पद्मावती, देवी अंडाल, बालाजी हनुमान, गरुड़, गणेश, नाग, उत्सव मूर्ती, और नवग्रह, की मूर्ती बिराजमान है यह मंदीर एयर वाइस मार्शल (avm) जी एम विस्वनाथन और उनकी पत्नी सावित्री विस्वनाथन द्वारा निर्माण किया गया है
मंदिर का समय
गर्मियों में मंदिर का समय – सुबह 6:00 बजे से 11:00 बजे तक शाम 5:00 बजे से 8:00 बजे तक सर्दियों में मंदिर का समय – सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक शाम- 4:00 बजे से 7:00 बजे तक खुला रहता है
अधिक लोगों को इस मंदिर के विषय में कोई जानकारी नहीं है किंतु जो भी इस मंदिर में एक बार भ्रमण कर लेता है वह बाकी के सारे मंदिरों की शिल्प कला और तिरुपति बालाजी मंदिर की शिल्प कला का अंतर बहुत बारीकी से समझ सकता है दक्षिण भारतीय प्राचीन मंदिरों की रचना शैली मैं गोपुरम का बहुत महत्व है गोपुरम वह स्थान है जिस पर अनेक देवी देवताओं उनकी कलाओं और लीलाओं की मूर्तियों का भव्य दृश्यंकन होता है यह गोपुरम दूर से ही किसी दक्षिण भारतीय शैली के मंदिर के होने का आभास कर देते हैं जैसे-जैसे व्यक्ति इन गोपुरम के पास पहुंचता है मंदिरों की भव्यता मूर्तियों की जीवंतता  उसे सम्मोहित सा करने लगती है

वैसे तो तिरुपति बालाजी का मंदिर तिरुपति में स्थित है जहां भगवान वेंकटेश की आराधना होती है इस शैली पर बने बंथरा के इस मंदिर में भी भगवान वेंकटेश जिन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है अपनी पूर्ण भव्यता के साथ विराजमान है मंदिर के गोपुरम में प्रवेश करते ही बाईं और एक छोटे ऊंचे चबूतरे पर नव ग्रहों की मूर्तियां स्थापित है जिनमें से तीन मूर्तियों का मुख मंदिर की तरफ बाकी की मूर्तियां क्रमशः दक्षिण और पूर्व दिशा में स्थित है नवग्रह मंदिर से थोड़ा सा आगे बढ़ते ही मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार है द्वारा के बाहर गरुण स्तंभ या ध्वज स्थापित है दक्षिण भारतीय मंदिरों में इस गरुड़ ध्वजा याध्वज स्तंभ का तो होता है और हर दक्षिण भारतीय मंदिर में बाहर की ओर यह स्तंभ स्थापित किया जाता है इस स्तंभ में ही प्राण प्रतिष्ठा होती है यहां पर भी इसी स्तंभ में प्राण प्रतिष्ठा की गई है सूर्य की किरणों में इस स्तंभ की सुनहरी आभा दूर से ही देखने वालों को मंत्र मुग्ध कर देती है अपनी विशेष निर्माण शैली में बनाया गया यह स्तंभ ठीक भगवान वेंकटेश की मूर्ति के समक्ष स्थित है इसके नीचे गरुण की मूर्ति स्थापित है अंदर  बरामदे में ठीक सामने भगवान वेंकटेश की स्वर्ण आभायुक्त काले पत्थरों से बनी विशाल मूर्ति स्थापित है इस की भव्यता देखने वाले को मंत्र मुग्ध कर देती है पूरा मंदिर एक सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ है यहां प्रवेश करते ही ऐसा प्रतीत होता है जैसे सारे पापों से व्यक्ति मुक्त हो रहा हो
मंदिर में एक गौशाला भी है जहां गायों की सेवा होती है  मंदिर के चारों ओर एक परिक्रमा मार्ग लाल सफेद पत्थरों से बना हुआ भी है जिस पर चलकर भक्त परिक्रमा करते हैं लखनऊ कानपुर मार्ग से मंदिर तक आने वाली सड़क अनेक स्थानों पर क्षतिग्रस्त है सरोजिनी नगर स्थित इस मंदिर मंदिर को तोताद्रि ट्रस्ट संचालित करता है मंदिर के मुख्य पुजारी भवानी सह पुजारी विमल जी और मंदिर का प्रबंध रामचंद्र अन्ना जी द्वारा किया जाता है
स्थानीय निवासियों ने सरोजिनी नगर विधायक राजेश्वर सिंह जी से इस संपर्क मार्ग को ठीक कराए जाने की मांग की है