CJI चंद्रचूड़ का गरीब छात्र से वादा, IIT एडमिशन में करेंगे हर संभव मदद, कर्ज तो लिया लेकिन नहीं भर पाया फीस

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(www.arya-tv.com) चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के सामने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला आया, जिसमें महज तीन मिनट की देरी के चलते एक गरीब परिवार का बच्‍चा आईआईटी में एडमिशन पाने से चूक गया. यह देरी भी छात्र की अपनी गलती से नहीं बल्कि सर्वर डाउन होने के कारण हुई. उसने कर्ज लेकर एडमिशन के लिए रुपये जुटाए लेकिन फिर भी एडमिशन नहीं पा सका. ऐसे में जब वो गुहार लेकर सीजेआई की बेंच के पास पहुंचा तो उन्‍होंने छात्र की पूरी बात सुनी और मदद का भरोसा भी दिया. 18 साल का अतुल कुमार आईआईटी धनबाद में चुना गया लेकिन एडमिशन नहीं ले पाया

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के टिटोरा गांव के रहने वाले अतुल ने 9 जून को अपने बड़े भाई के लैपटॉप पर JEE प्रतियोगी परीक्षा में अपना रिजल्‍ट देखा था. पिता मेरठ में मजदूरी करते हैं और पार्ट-टाइम टेलर भी हैं. अतुल का दावा है कि 24 जून को शाम 5 बजे तक फीस भरने का आखिरी वक्‍त था. जैसे-तैसे गांव वालों से पैसा उधार लेकर वो फीस की रकम जुटाने में तो सफल रहा लेकिन अपनी खराब किस्‍मत से नहीं जीत पाया. एडमिशन की समय सीमा खत्‍म होने से ठीक तीन मिनट पहले ऑनलाइन पोर्टल के सर्वर ने जवाब देना बंद कर दिया और वो डाउन हो गया. 17,500 रुपये की फीस जमा नहीं हो सकी, जिसके चलते उसने एडमिशन का मौका खो दिया.

गांव के लोगों ने की फीस जुटाने में मदद
पिता कहते हैं कि मैं रोटी चाहे आधी खा लूंगा, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाऊंगा. इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक गांव में एक राहगीर से जब अतुल के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि वो आईआईटी के लड़कों वाला परिवार? टिटोरा में अतुल की जीत और फिर निराशा और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई उम्मीद की किरण के बारे में हर चाय की दुकान और गांव के चौराहे पर चर्चा होती है. यहां के लोगों ने अतुल की फीस भरने में मदद की थी लेकिन वो किस्‍मत के आगे हार गया.

सीजेआई की बेंच ने क्‍या कहा?
सीजेआई की 3 जजों की बेंच ने मंगलवार को 30 सितंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, “याचिकाकर्ता की सामाजिक पृष्ठभूमि और उसके द्वारा झेली गई कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, हमारा मानना ​​है कि यह नोटिस जारी करने का एक उचित मामला है, ताकि पता लगाया जा सके कि याचिकाकर्ता के प्रवेश की सुरक्षा के लिए कुछ किया जा सकता है या नहीं.”