(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के मेरठ में डॉक्टरों ने एक 40 वर्षीय मरीज राहुल का सफल किडनी ट्रांसप्लांट लाइफ सेविंग सर्जरी की. मरीज एंड स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) से पीड़ित थे और इससे पहले किसी हेल्थ केयर इंस्टिट्यूट में 2020 में भी किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके थे. बदकिस्मती से उनका पहला ट्रांसप्लांट फेल रहा, और तब से ही वो मेंटेनेंस हीमोडायलिसिस (एमएचडी) पर थे. जब मरीज की हालत खराब होने लगी तो दूसरे किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उन्हें मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज लाया गया.
मरीज राहुल का डोनर रूबी के खून पर पॉजिटिव रिएक्शन था. अगर इस पॉइंट पर ट्रांसप्लांट किया जाता तो रिजेक्शन होने के चांस ज्यादा थे. आमतौर पर, मरीजों को मजबूत इम्यूनोसप्रेसेन्ट दिया जाता है और ट्रांसप्लांट की तैयारी के लिए बेहद महंगे प्लाज्मा एक्सचेंज से गुजरना पड़ता है, लेकिन उन्हें एक नया एजेंट दिया गया था जो धीरे-धीरे काम करता है, और इसके बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं, साथ ही यह बेहद किफायती भी है.
मरीज की हालत काफी संवेदनशील थी
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज में एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर वरुण वर्मा ने इस केस की जटिलता के बारे में बताया, ”मरीज की हालत काफी संवेदनशील थी और उनका पिछले ट्रांसप्लांट फेल हो चुका था, इसलिए पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के हिसाब से तैयारी करनी थी. हमने डिसेन्सिटाइजेशन से शुरू किया, जिसने एंटीबॉडी के स्तर को कम कर दिया ताकि एक सफल ट्रांसप्लांट हो सके. ओपन किडनी ट्रांसप्लांट वाली सर्जरी की गई और मरीज की रिकवरी अच्छी रही. मरीज राहुल पर ट्रांसप्लांट का अच्छा असर हुआ और उनकी किडनी ठीक से काम करने लगी.
मरीज की हिस्ट्री एंड स्टेज रीनल डिजीज की थी
इस मामले में मरीज के किडनी फंक्शन को स्थिर करना अहम था, क्योंकि मरीज की हिस्ट्री एंड स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) की थी और उनका पिछला ट्रांसप्लांट फेल हो चुका था. ट्रांसप्लांट के बाद किडनी फंक्शन को स्थिर बनाए रखना यह सुनिश्चित करता है कि शरीर नई किडनी को स्वीकार करता है और अपशिष्ट को फिल्टर करने व फ्लूड को बैलेंस करने जैसे जरूरी काम कर सकता है. इस फंक्शन में किसी भी रुकावट से ग्राफ्ट फेल हो सकता है, इंफेक्शन या सेप्सिस जैसे कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं.
मरीज को कर दिया गया डिस्चार्ज
डॉक्टर वरुण ने आगे कहा, ”सर्जरी के बाद पहले हफ्ते में मरीज की हालत स्थिर प्रोग्रेस वाली रही, यूरिनरी इंफेक्शन की वजह से बुखार हुआ क्योंकि मल्टी ड्रग-रेजिस्टेंस स्यूडोमोनास दिया जाता है. एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाओं की मदद से टीम ने इंफेक्शन को सफलतापूर्वक मैनेज किया. इंफेक्शन को कंट्रोल करने और सर्जरी के बाद किडनी के बेहतर प्रदर्शन को सुनिश्चित करने की टीम की क्षमता, ट्रांसप्लांट की लंबे समय तक की सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण थी.” एक सप्ताह के अंदर मरीज का किडनी फंक्शन सुचारू होने लगा और हर दिन 3.7 लीटर यूरिन प्रोड्यूस होने लगा. रेगुलर फॉलो-अप की सलाह, पोस्ट डिस्चार्ज केयर और रेगुलर टेस्ट के लिए कहकर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया.