तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद के बीच पटना महावीर मंदिर से अच्छी खबर, एकदम शुद्ध है नैवेद्यम, हर तीन महीने में लैब टेस्ट

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(www.arya-tv.com) आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्र बाबू नायडू के द्वारा पूर्व की सरकार पर तिरुपति मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डू प्रसाद में मिलावट और गाय की चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किए जाने बात कहे जाने के बाद पूरे देश के लोग स्तब्ध हैं. लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या चंद्र बाबू नायडू ने जो दावा किया है क्या वह सही है? यदि यह सही है तो हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ क्यों? दोषियों पर कड़ी करवाई की मांग भी की जा रही है. इन्हीं बातो को देखते हुए पटना महावीर मंदिर प्रशासन भी हतप्रभ है. तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की बात सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन ने लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी और अन्य सभी समान की जांच करवाई है. पटना महावीर मंदिर में नैवेद्यम लड्डू बनाने में जुड़े लोगों का दावा है नंदिनी घी से लड्डू बनाया जाता है जो पूरी तरह शुद्ध है….

दरअसल, तिरुपति मंदिर के तर्ज पर ही पटना महावीर मंदिर में नैवेद्यम लड्डू बनता है. महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने दावा किया है कि पटना महावीर मंदिर में बनने वाला निवेदन प्रसाद बिल्कुल शुद्ध और स्वच्छ है. तिरुपति मंदिर के प्रसाद मिलावट और घी में जानवरों की चर्बी होने की खबर से महावीर मंदिर न्यास परिषद के सचिव आचार्य किशोर कुणाल भी आहत हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन साल से वहां के प्रसाद के स्वाद में गिरावट थी.

किशोर कुणाल ने कहा कि तिरुपति मंदिर की तरह पटना में भी नैवेद्यम लड्डू बनाये जाते हैं. तिरुपति प्रसाद के बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने यह तक किया कि पटना महावीर मंदिर में मिलने वाले नैवेद्यम प्रसाद की जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जाय. किशोर कुणाल ने लोगों को यह आश्वस्त भी किया है कि पटना महावीर मंदिर में मिलने वाला प्रसाद बिल्कुल शुद्ध है.

तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की बात सामने आने के बाद देशभर के लोगों में उबाल है. पूरे मामले की जांच और करवाई की मांग की जा रही है. बिहार सरकार के मंत्री नीरज बबलू ने भी जांच की मांग करते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है.

ऐसे बनाया जाता है नैवेद्यम
पटना महावीर मंदिर के नैवेद्यम को तैयार करने में चने दाल का बेसन, गाय का शुद्ध घी, काजू, किशमिश और इलायची का इस्तेमाल किया जाता है. मंदिर परिसर में पूरी सफाई के साथ पहले चना दाल से बेसन तैयार किया जाता है. फिर शुद्ध घी में पकाकर बूंदी तैयार की जाती है. उसमें काजू-किशमिश और इलायची को निश्चित अनुपात में मिलाकर नैवेद्यम तैयार किया जाता है. खास बात यह है कि पूरी प्रक्रिया मशीन से संचालित की जाती है. इसमें हाथों का उपयोग सीधे नहीं किया जाता. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तिरुपति के लगभग सवा सौ दक्ष कारीगर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा पाठ करने के बाद पूरी स्वच्छता से नैवेद्यम तैयार करते हैं.