(www.arya-tv.com) बॉलीवुड में कई हिट और फ्लॉप एक्टर बाप-बेटे की जोड़ियों के बारे में आपने सुना होगा. लेकिन क्या आप पुराने दौर के उस हिट डायरेक्टर को जानते हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी. पिता ने हिंदी सिनेमा जो दिया वो तकनीक के मामले नया था. 70 एमएम का नाम हमने सुना और बड़े पर्दे पर स्टीरियोफोनिक आवाज का लाजवाब कॉम्बिनेशन एक अलग ही माहौल सिनेमाघर में क्रिएट कर गया. तो बेटा डायरेक्शन में आया तो कल्ट क्लासिक फिल्मों की लाइन लगा दी
ये दांस्ता है उस फिल्ममेकर की, जिन्होंने अपनी जिंदगी में कई खूबसूरत एक्सपेरिमेंट किए. ये कोई और नहीं जीपी सिप्पी हैं. जीपी सिप्पी ने इंडस्ट्री में एक से बढ़िया एक फिल्में बनाई हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि एक मिस्त्री को देख उन्होंने फिल्म बनाने का आइडिया ले लिया था औऱ फिल्म ‘सजा’ बना डाली थी. इस फिल्म में ‘द एवरग्रीन स्टार’ देव आनंद और ‘नशीली आंखों वाली’ निम्मी नजर आए थे.
कैसे बने सिपाहीमलानी से सिप्पी
जीपी सिप्पी की असली नाम गोपालदास परमानंद सिपाहीमलानी है. जीपी सिप्पी उस दौर थे, जब अंग्रेजों का राज भारत में हुआ करता था. कहा जाता है कि अंग्रेजों के पूरा सरनेम बोलने में दिक्कत होती थी. इसलिए सिपाहीमलानी से वो सिप्पी और फिर जीपी सिप्पी के नाम से फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हुए. जीपी सिप्पी की आज बर्थ एनिवर्सरी है.
वकालत छोड़ इंडस्ट्री में आए जीपी सिप्पी
जीपी सिप्पी वकालत छोड़ इस इंडस्ट्री में आए थे. वो शख्स थे, जिन्होंने सिर्फ अपने काम से प्यार किया. उन्हें सिने इंडस्ट्री से बेहद प्यार था इसलिए कहते थे ‘देयर इज नो बिजनेस लाइक फिल्म बिजनेस.’ एक बाद एक ऐसी फिल्में जो समय से आगे की सोचती थीं. हिंदी फिल्मों में पहली बार गेवाकलर का इस्तेमाल किया गया. वो थी साल 1953 में आई शहंशाह में. उस समय के जाने-माने हीरो रंजन और हिरोइन थीं कामिनी कौशल. प्रयोग लोगों को काफी पसंद भी आया. देश की तीसरी फुल लेंथ रंगीन फिल्म.
जब साथ में पर्दे पर दिखी बाप-बेटे की जोड़ी
कुछ फिल्में भी सिप्पी साहब ने डायरेक्ट की जैसे 1955 की ‘मरीन ड्राइव’, 1959 की ‘भाई बहन’, 1961 में ‘आई मिस्टर इंडिया’. कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की. ‘भाई बहन’ में तो जेपी सिप्पी साहब अपने साहिबजादे रमेश के साथ भी दिखे. वक्त बिता, साल बिता और उनके इस सफर में बेटे रमेश सिप्पी भी शामिल हो गए. वो निर्देशन करते थे और जेपी सिप्पी साहब प्रोड्यूस. विधवा विवाह पर बनी ‘अंजाम’ से फुल टू एंटरटेनर ‘सीता और गीता’ तक हिंदी सिने जगत में मील का पत्थर साबित हुईं.
सिप्पी फैमिली की वो फिल्म, जिसका नहीं टूटा आजतक रिकॉर्ड
साल बीते और बाप-बेटे की इस जोड़ी के जीवन से जुड़ा बेहतरीन साल 1975. कई अद्भुत और बड़े प्रयोग हुए. लीक से हटकर एक फिल्म बनाई नाम था ‘शोले’ कल्ट फिल्म. डाकुओं पर बनी फिल्म पहले भी कई बन चुकी थी, लेकिन ये तो सिप्पी फैमिली की थी. कुछ तो हटकर होना था स्टोरी, लोकेशन , एक्टर्स सब लाजवाब. भारतीय सिनेमा को एक नया डाकू भी फिल्म ने दिया. वो था ‘गब्बर’ अमजद खान. इस मूवी का एक-एक किरदार लोगों के दिलों में छा गया. सलीम जावेद की कसी हुई पटकथा ने गजब का जादू किया. उस जमाने में सबसे महंगी फिल्म तैयार हुई. बजट 3 करोड़ का था. इस फिल्म को रिलीज हुए 49 साल हो गए हैं. आज भी उस दौर के लोग इस फिल्म के किस्से कहानियों को सुनाते हुए कहते हैं कि ये वो फिल्म है जब इंटरवल में भी लोग सीट छोड़ नहीं पाए थे.