(www.arya-tv.com) नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई और अब चर्चा का विषय बनी ‘IC 814 द कंधार हाईजैक’ सीरीज के बाद कंधार हाइजैक एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. वहीं सीरीज में हाइजैकर्स के हिन्दू नामों को लेकर भी विवाद उठ खड़ा हुआ है. उस किडनैपिंग के पीड़ितों को लेकर यादों के फ्लैशबैक से लेकर प्लेन के भीतर की घटनाओं तक, सबकुछ एक बार फिर दोहराया जा रहा है. लेकिन इस पूरी गुत्थी को मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच ने कैसे सुलझाया, यह अब तक आम लोगों के लिए अबूझा था. मगर अब इसकी परतें खुल रही हैं.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और मुंबई क्राइम ब्रांच के पूर्व प्रमुख डी शिवानंदन महाराष्ट्र के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हैं, उनकी आगामी पुस्तक ‘ब्रह्मास्त्र’ के हवाले से इंडियन एक्स्प्रेस ने पब्लिश किया है कि हेमंत करकरे को मिले टिप ऑफ से पुलिस को होटल में करंसी एक्सचेंज को लेकर शक शुबहा पैदा हुआ. गिरफ्तारियां की गईं तो पूरा मामला खुल गया. डी. शिवानंदन ने ही इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया था.
दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे थे निशाने पर?
मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच की छापेमारी में आतंकियों को जहां से गिरफ्तार किया गया, वहां से मातोश्री का नक्शा भी बरामद किया गया. मातोश्री दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का निवास स्थान था. यह आज भी शिवसेना प्रमुख उद्धव बालासाहेब ठाकरे का निवास स्थान है. अपनी किताब में वह कहते हैं- बशीरबाग में ‘छापेमारी इतनी सटीकता से की गई कि आतंकवादियों को प्रतिक्रिया करने का एक पल भी नहीं मिला. पूरी टीम ने उन पर ऐसे हमला किया जैसे बाज अपने शिकार को पकड़ता है और कुछ ही समय में आतंकवादियों को काबू में करके गिरफ्तार कर लिया गया.’
आतंकियों के कमरे से मिले था असला बारूद..
किताब के मुताबिक, जिस पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान रफीक मोहम्मद (उम्र 34), अब्दुल लतीफ अदानी पटेल (उम्र 34), मुस्ताक अहमद आजमी (उम्र 45), मोहम्मद आसिफ उर्फ बबलू (उम्र 25), गोपाल सिंह बहादुर मान (उम्र 38) के रूप में हुई. कमरे से दो एके-56 असॉल्ट राइफल, पांच हैंड ग्रेनेड, एंटी टैंक टीएनटी रॉकेट लॉन्चर, गोले और तीन डेटोनेटर और विस्फोटक, छह पिस्तौल, गोला-बारूद का विशाल भंडार और 1,72,000 रुपये नकद सहित हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया. ऐसा लग रहा था जैसे आतंकवादियों ने मुंबई में एक बड़ा आतंकी हमला करने की योजना बनाई थी.
एक्सप्रेस में छपे कुछ और अंश के मुताबिक- ’24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 को नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरने के 30 मिनट बाद ही हाई जैक कर लिया गया था. अधिकारियों को अपहरण की जानकारी मिलते ही पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था. उस दौरान मैं मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात था और मुंबई क्राइम ब्रांच का प्रमुख था. मुझे मेरे बॉस और मुंबई पुलिस कमिश्नर आर एच मेंडोंका ने इस घटना के बारे में बताया और पूरी क्राइम ब्रांच को हाई अलर्ट पर रखने के लिए कहा. हम सभी लोग सांस रोककर घटनाओं पर नजर रख रहे थे.
जब हेमंत करकरे ने घर पर पहुंचकर चौंका दिया था…
अपहरण के अगले ही दिन क्रिसमस का दिन था, 25 दिसंबर, मैं क्रॉफर्ड मार्केट में मुंबई पुलिस मुख्यालय में स्थित अपने कार्यालय में था, जब सुबह करीब 11 बजे एक अप्रत्याशित आगंतुक मेरे पास आया. यह महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे थे, जो उस समय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)* के मुंबई कार्यालय में तैनात थे. मुझे तुरंत पता चल गया कि यह कोई साधारण मुलाकात नहीं थी. हेमंत करकरे ने मुझे बताया कि रॉ ने एक फोन नंबर हासिल किया है जो मुंबई में है और पाकिस्तान में एक फोन नंबर के साथ लगातार संपर्क में है. उन्होंने मुझे फ़ोन नंबर दिया और मैं तुरंत काम पर लग गया…’