(www.arya-tv.com) हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड यानी HURL द्वारा स्थापित खाद कारखाना गोरखपुर के विकास में भरपूर योगदान तो दे ही रहा है, सामाजिक सरोकारों को निभाने में भी आगे हैं. स्थापना के महज तीन साल के भीतर इस खाद कारखाने ने कॉरपोरेट एन्वॉयरमेंट रिस्पांसिबिलिटी (सीईआर) फंड से 70 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि शिक्षा, स्वास्थ्य और नगरीय सुविधाओं के ढांचागत विकास पर खर्च की है. यहां के लोग इस सीएम योगी के संघर्ष के सुखद परिणाम मानते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से करीब तीन दशक बाद HURL के खाद कारखाने के नाम यूरिया उत्पादन के साथ सामाजिक दायित्व निर्वहन की सतत उपलब्धियां दर्ज होती जा रही हैं. एचयूआरएल गोरखपुर इकाई के परियोजना प्रमुख दिप्तेन रॉय का कहना है कि ये खाद कारखाना यूरिया के लिए किसानों की दिक्कत को कम करने में मील का पत्थर साबित हुआ है तो साथ ही गोरखपुर के शिक्षा और स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना को भी मजबूत बना रहा है.
सामाजिक कामों में भी रहा योगदान
एचयूआरएल ने अपने सीईआर फंड से गोरखपुर में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई है, तो 16 स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के इलाज के लिए हाईटेक पीडियाट्रिक आईसीयू का निर्माण कराया है. इसके साथ ही उसने मानीराम के समीप स्थित सोनबरसा गांव को मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया है, 12 प्राइमरी स्कूलों में आरओ प्लांट लगवाया है, कई सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का जीर्णोद्धार कर उन्हें स्मार्ट बनाया है.
HURL के महाप्रबंधक संजय चावला और गोरखपुर यूनिट के उप महाप्रबंधक सुबोध दीक्षित ने बताया कि इनमें से कई कार्य पूरे हो गए हैं तो कुछ निर्माणाधीन हैं. ताजा पहल करते हुए HURL अब नगर निगम के माध्यम से शहर में 27 स्थानों पर इंटीग्रेटेड सोलर स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम की स्थापना करने जा रहा है. सीएम योगी खुद कई मंचों से एचयूआरएल की तारीफ करते हुए कह चुके हैं कि ये कारखाना खाद उत्पादन के साथ ही अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ा रहा है.
सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट
गोरखपुर में HURL की स्थापना का श्रेय सीएम योगी को जाता है. ये उनका ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. गोरखपुर में पूर्व में स्थापित खाद कारखाना 1990 में एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया था. सांसद बनने के बाद 1998 से ही योगी आदित्यनाथ ने इसे दोबारा चलाने के लिए संघर्ष किया. उनकी पहल पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने खाद कारखाना परिसर में ही नये कारखाने का शिलान्यास किया. 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके निर्माण का रास्ता और प्रशस्त हो गया.
600 एकड़ में 8603 करोड़ रुपये की लागत से बने और प्राकृतिक गैस आधारित इस खाद कारखाने की अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मिट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन की है. कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के बाद कई दिन ऐसे भी रहे हैं जब खाद कारखाने में सौ प्रतिशत क्षमता से भी अधिक उत्पादन हुआ है. यहां बेस्ट क्वालिटी की नीम कोटेड यूरिया बन रही है. कारण, इस कारखाने की प्रीलिंग टावर की रिकार्ड ऊंचाई. यहां बने प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है. जो कुतुब मीनार से भी दोगुना ऊंचा है. प्रीलिंग टावर की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे व गुणवत्तायुक्त बनते हैं.
खाद के साथ इन क्षेत्रों में भी रहा योगदान
– 72 लाख की लागत से हरनही और कैम्पियरगंज सीएचसी पर ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना
– 14 लाख की लागत से 12 प्राथमिक विद्यालयों पर शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट की स्थापना
– 3.29 करोड़ की लागत से रामगढ़ताल का सुंदरीकरण
– 12.30 करोड़ की लागत से सोनबरसा गांव का मॉडल विलेज के रूप में विकास
– 26.43 करोड़ की लगात से 16 सीएचसी पर पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थापना
– 6.35 करोड़ की लागत से विभिन्न सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प, शिक्षा क्षेत्र में आधारभूत ढांचे का विकास
– 21 करोड़ की लागत से 27 स्थानों पर इंटीग्रेटेड सोलर स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम की स्थापना
गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन करने वाली हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं. जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं.