(www.arya-tv.com) edited by Jaikishan वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने 1 दिसंबर से अपना टैरिफ बढ़ाने का दवा किया है। हाल ही में रिलायंस जियो ने भी यूजर चार्ज (IUC) का हवाला देते हुए का है। कि नॉन जियो कॉलिंग के लिए पैसे लेने के लिए शुरू किया गया है। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) जैसी समस्याओं की वजह से सभी टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान भी हो रहा है।
वोडाफोन आइडिया को तो भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा बताया है। इसलिए फिलहाल कंपनियां ने टैरिफ बढ़ाकर अपनी आय कुछ हद तक बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।क्यों कि जियो का टैरिफ अब भी बाकी कंपनियों के मुकाबले काफी कम होता जा रहा है। ऐसे में दूसरी टेलीकॉम की कंपनियां दोधारी तलवार पर चल रही हैं।
इसकी वजह यह है कि टैरिफ बढ़ाने से उनको और उनके ग्राहक टूट कर जियो की ओर जा रहें हैं। जियो के आने के बाद वैसे ही एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों की हालत काफी खराब थी। क्योंकि बड़ी संख्या में इनके ग्राहक जियो की ओर जा चुके हैं।
असल में सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की वजह से भारत की कई टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकि है।
टेलीकॉम कंपनी को दूसरी तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा 50,921 करोड़ का घाटा हुआ है वोडाफोन आइडिया यह भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा है। एयरटेल को भी जुलाई-सितंबर, 2019 तिमाही में 23,045 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है।
क्यों हो रहा घाटा
घाटे की बड़ी वजह यह है कि कंपनियों को एजीआर के लिए प्रॉविजनिंग करनी पड़ रही है यानी एक तय राशि अलग रखनी पड़ रही है। वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) निक रीड का कहना है कि भारत में कारोबार के लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार से राहत नहीं मिली तो वोडाफोन भारत से अपना कारोबार समेट
कर जा सकती है।
