(www.arya-tv.com) अलीगढ़ के तहसील इगलास के छोटे से गांव दुमेड़ी में चकरोड किनारे खेत मे 20 फ़ीट वर्गाकार की जमीन में 60 फीट ऊंचाई तक बने इस पक्षीघर में पक्षियों के रहने के लिए 512 फ्लैट मौजूद हैं. प्रत्येक फ्लैट में 10 पक्षियों के द्वारा अपना जीवन यापन किया जा सकता है. इन पक्षीघरों की खास बात यह है की गर्मी में यह फ्लैट ठंडे रहते हैं और सर्दी में यह फ्लैट गर्म रहते है. पक्षियों के लिए बनवाया गया पक्षी घर आसपास के क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश में भी अपनी अलग पहचान बनाते हुए नजर आ रहा हैं.
इस पक्षी घर को बनाने के लिए ना तो लकड़ी का प्रयोग किया गया और ना किसी अन्य धातु का. यह गुजरात के मोरबी शहर से फ्लैट लाकर बनवाया गया है सबसे पहले फाउंडेशन का निर्माण कराया गया. उसके बाद यह पक्षीघर बनाया गया. आसपास के क्षेत्र के लोगों का कहना है पक्षीघर बनवाने से नई पक्षियों को आश्रय मिलेगा बल्कि उन लोगों को भी नई पहचान मिलेगी.
पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए अनोखा तरीका
पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए सरकार के द्वारा तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही है, जिससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके. वहीं एनजीटी के द्वारा लगातार पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए तमाम कार्यवाही की जाती है लेकिन अगर बात पक्षीघर की कहीं जाए तो पक्षी घर बनाने से पर्यावरण प्रदूषित होने से बचें. साथ ही पर्यावरण संतुलित होने में भी पक्षियों की अहम भूमिका वायुमंडल के लिए लाभदायक होती है,बताया जाता है, जहां पक्षी अधिक होंगे वहां वातावरण को संतुलित रहता हैं.
राम निवास शर्मा बताते है, 2021 में पिताजी स्वर्गीय श्री द्वारका प्रसाद शर्मा, माताजी श्रीमती स्वर्गीय शांति देवी की स्मृति में इस पक्षीघर का निर्माण कराया गया हैं. इस पक्षीघर के निर्माण में मेरे बड़े भाई देवकीनंदन शर्मा जी का सबसे अहम योगदान रहा. वहीं हमारे परिवार के मुखिया हैं, पूरे परिवार का संरक्षण वही करते हैं. साथ ही यहां के जो क्षेत्रवासी हैं वह यहां दाना डालने आते और अंदर से उनके मन को शांति मिलती है.
राजस्थान के कारीगरों की मदद से करीब 7 लाख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ हैं. देवकीनंदन शर्मा और रामनिवास शर्मा ने बताया है कि ‘उन्होंने अपने अन्य भाई रामहरि शर्मा, मुनेश शर्मा सभी के सहयोग से नवंबर 2021 में इसका निर्माण कराया था. देवकीनंदन और रामनिवास का कहना है कि उनका एक बहुत बड़ा बाग था, जो काटा जा चुका है, लेकिन उस बाग में निवास करने वाले पक्षी अब बेघर हो चुके हैं. पर्यावरण संरक्षण में सहायक पक्षियों की घटती संख्या पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की. इसी बीच अनूठी पहल करने की ठान ली.