लखनऊ की नसीम बानो को पद्मश्री, विदेशियों को भी सिखाती हैं अनोखी चिकनकारी

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) 

लखनऊ. लखनऊ की चिकनकारी देश के साथ-साथ विदेश भर में भी मशहूर है, लेकिन लखनऊ की रहने वाली 62 वर्षीय नसीम बानो इकलौती ऐसी महिला हैं जो अनोखी चिकनकारी करती हैं. इनके कपड़े पर कढ़ाई कहां से शुरू हुई, कहां खत्म यह पहचान पाना मुश्किल है. कपड़े पर चिकनकारी इतनी बारीक तरीके से की जाती है कि दोनों तरफ से चिकनकारी की डिजाइन एक जैसी ही लगती है. यही वजह है कि इस अनोखी कला और अनोखी चिकनकारी के लिए इन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा.

खास बातचीत में नसीम बानो ने बताया कि इस काम को उन्होंने 13 साल की उम्र में ही करना शुरू कर दिया था. वह वर्तमान में लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में नेपियर रोड कॉलोनी पार्ट 2 में रह रही हैं.

देश-विदेश में दे रहीं प्रशिक्षण
नसीम बानो इस अनोखी चिकनकारी का प्रशिक्षण ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक देकर के आई हैं. जर्मनी और फ्रांस के साथ ही तमाम देशों की लड़कियों और महिलाओं को इस अनोखी चिकनकारी से वह रूबरू करा चुकी हैं. नसीम बानो चिकनकारी कारीगर हैं और बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 वर्षों का अनुभव रखती हैं.

पिता से सीखी कला
नसीम बानो ने बताया कि उन्हें बहुत छोटी उम्र से ही इस कला में दिलचस्पी पैदा हो गई थी. वह बचपन से ही अपने पिता को चिकनकारी करते देखते आ रही थी. उन्होंने बताया कि उनके पिता स्व. हसन मिर्जा ने अनोखी चिकनकारी शुरू की थी, इस कला के लिए उनको केंद्र सरकार ने साल 1969 में राष्ट्रीय पुरस्कार से समान्नित किया था. उन्होंने बताया कि इस कला में चिकन के कपड़े के ऊपर काम होता है, नीचे की ओर कपड़े के टांके नहीं आते हैं.

मिल चुके हैं इतने अवार्ड
साल 1985 में तत्कालीन सीएम की ओर से राज्य पुरस्कार दिया गया था. इसके अलावा 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने उनको इस काम के लिए पुरस्कृत किया था. उन्होंने बताया कि इनकी इसी कला और हुनर को देखते हुए साल 2019 में उपराष्ट्रपति की ओर से शिल्पगुरु पुरस्कार दिया गया.