सीट शेयरिंग पर दरक रहा विपक्षी गठबंधन, वर्चुअल मीटिंग के रिजल्ट से क्यों ‘खुश’ है BJP?

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(www.arya-tv.com)  विपक्षी गठबंधन (इंडिया अलायंस) में शामिल राजनीतिक दलों की दो घंटे चली वर्चुअल मीटिंग में ‘सीट शेयरिंग’ को लेकर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। हालांकि इस बैठक में एक बड़ा घटनाक्रम यह रहा कि नीतीश कुमार की जगह, मल्लिकार्जुन खरगे को विपक्षी दलों ने I.N.D.I गठबंधन के अध्यक्ष पद पर बैठा दिया। नीतीश कुमार ने इस पद के लिए अनिच्छा जताई। उन्होंने कहा, गठबंधन का संयोजक बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। गठबंधन की एकजुटता जरूरी है। जमीन पर यह गठबंधन आगे बढ़ना चाहिए। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अब ये सवाल उठना लाजमी है कि ‘सीट शेयरिंग’ पर कहीं विपक्षी गठबंधन दरकने तो नहीं लगा है। तीन बड़े राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए। दूसरी तरफ ‘विपक्षी गठबंधन’ की इस वर्चुअल मीटिंग को भाजपा अपने लिए ‘वॉकओवर’ जैसा मान रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा ‘जब मैंने विपक्षी गठबंधन की बैठक के बारे में सुना, तो पता चला कि यह एक वर्चुअल बैठक है। वर्चुअल गठबंधन सिर्फ वर्चुअल बैठक ही करेगा। इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सकते।

सीट बंटवारे पर सकारात्मक बातचीत: खरगे

वर्चुअल बैठक में मौजूद रहे एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि ने बताया, देखिये अभी किसी नतीजे पर पहुंचना, ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत चल रही है। बैठक में एमके स्टालिन ने गठबंधन के संयोजक पद के लिए बिहार के सीएम और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार का नाम सुझाया था। इसके बाद यह चर्चा आगे बढ़ती कि नीतीश कुमार ने खुद ही अपना नाम पीछे हटा लिया। नीतीश कुमार ने कहा, वे चाहते हैं कि गठबंधन मजबूती के साथ आगे बढ़े। सभी सहयोगी दलों में एकजुटता रहे। सीट शेयरिंग का सर्वमान्य फॉर्मूला अपनाया जाए। इसके बाद वर्चुअल मीटिंग में मौजूद दलों ने सर्वसम्मति ने मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष पद सौंप दिया। खरगे ने मीटिंग के बाद अपने ट्वीट में कहा, समन्वय समिति के नेताओं ने आज ऑनलाइन मुलाकात की है। इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के बीच सार्थक चर्चा हुई है। हर कोई इस बात से खुश है कि सीट बंटवारे पर बातचीत सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ रही है। हमने आने वाले दिनों में इंडिया गठबंधन द्वारा संयुक्त कार्यक्रमों के बारे में भी चर्चा की। राहुल गांधी ने सभी सहयोगी दलों को अपनी सुविधानुसार ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने और आम लोगों की परेशानी के लिए जिम्मेदार सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को उठाने के अवसर का उपयोग करने के लिए आमंत्रित किया।

ये एकजुटता के लिए शुभ संकेत नहीं हैं

विपक्षी दलों की वर्चुअल मीटिंग में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और सपा नेता अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए। पिछले कुछ दिनों से सीट शेयरिंग को लेकर टीएमसी, सपा और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि ममता बनर्जी अहंकारी और बेईमान हैं। जिन लोगों की वजह से वो नेता बनी हैं, उन्हीं को आज ममता अहंकार दिखा रही हैं। ममता और भाजपा के बीच सांठगांठ हो चुकी है। वे पीएम मोदी को धोखा नहीं देंगी। यही वजह है कि इंडिया गठबंधन में ममता, सीटों पर समझौता नहीं करना चाहती हैं। इस बयानबाजी को गठबंधन में गंभीरता से लिया गया। एक तरफ नीतीश कुमार का संयोजक पद लेने से मना करना और दूसरी ओर तीन बड़े नेताओं का वर्चुअल मीटिंग से किनारा करना, ये गठबंधन की एकजुटता के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस पार्टी असहज स्थिति में हैं। दोनों दलों के नेताओं के बीच बैठक होनी थी, लेकिन एन वक्त पर कांग्रेस ने सपा को फोन कर बैठक टालने का आग्रह किया। सपा की ओर से ‘एक्स’ पर एक पोस्ट अपलोड की गई, जिसे कुछ घंटे बाद हटा लिया गया था। उसमें कांग्रेस पर धोखेबाजी का आरोप लगाया गया था। सपा प्रवक्ता फकरुल हसन का कहना था कि हम कांग्रेस से जिताऊ प्रत्याशियों के नाम दो महीने से मांग रहे हैं। अखिलेश यादव ने सीट शेयरिंग के लिए सपा महासचिव रामगोपाल यादव सहित कई नेताओं की टीम गठित कर दी है।

क्यों दरक रहा है विपक्षी दलों का गठबंधन?

राजनीतिक दलों के सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन की एकजुटता में सबसे बड़ी बाधा सीट शेयरिंग का कोई सर्वमान्य फॉर्मूला तय नहीं होना है। हर पार्टी, ज्यादा से ज्यादा सीट चाहती है। यूपी में सपा, कांग्रेस को दस सीटों से नीचे रखना चाहती है। मायावती का सपा और कांग्रेस, दोनों को इंतजार है। हालांकि अभी तक बसपा प्रमुख मायावती ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि देर सवेर बसपा के साथ दूरियां कम हो सकती हैं। दूसरी ओर, सपा भी इसी उम्मीद में लगी है कि बुआ और भतीजे के बीच सुलह हो जाए। इस वजह से कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिंग आगे नहीं बढ़ रही है। गत वर्ष इंडिया गठबंधन की पहली बैठक जो पटना में हुई थी, उसमें नीतीश कुमार का जोश देखने लायक था। उसके बाद बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली की बैठकों में नीतीश कुमार का वह जोश पूरी तरह से गायब नजर आया। उन्होंने अपनी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद कमान संभाल ली है। उनकी पार्टी के कई नेता, लालू यादव की आरजेडी को साथ लेकर चलने से खुश नहीं हैं। उधर, नीतीश कुमार भी अभी भंवर में फंसे हैं। ऐसी अफवाह उड़ती रहती है कि वे भाजपा यानी एनडीए में आ सकते हैं। पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी, कांग्रेस पर हावी होना चाहती है। ममता बनर्जी, कांग्रेस को पांच से नीचे के अंक पर सीट देने का मन बना रही हैं। कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है। राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि नीतीश कुमार को संयोजक बनवाने के लिए लालू यादव प्रयासरत थे। इसमें वे तेजस्वी यादव का भविष्य तलाश रहे थे।