अब किसान एक ही पौधे में उगा सकेंगे टमाटर और आलू

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अब किसान एक ही पौधे में टमाटर और आलू की पैदावार कर सकते हैं। आलू जड़ से उगेगा और टमाटर बेल पर उगेगा। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सब्जी विज्ञान विंग ने ग्राफ्टिंग की मदद से इस प्रयोग में सफलता पाई है। इस पौधे का नाम पोमैटो दिया गया है। इस शोध को अब मंडी के किसानों तक पहुंचाने का काम भी शुरू हो गया है, ताकि आलू और टमाटर की अधिक पैदावार वाले क्षेत्रों में इस ग्राफ्टिंग तकनीक से किसान मालामाल हो सकें।

इंडियन हार्टिकल्चर मैग्जीन में यह शोध 2015 में प्रकाशित भी हो चुका है। सुंदरनगर विज्ञान केंद्र में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सब्जी विज्ञान विंग ने सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में यह जानकारी दी। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज सूद, डॉ. डीएस यादव, डॉ. कविता शर्मा, डॉ. शकुंतला राही, डॉ. एलके शर्मा व कृषि व बागवानी विभाग के अधिकारी भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

मंडी में अपार संभावनाएं
मंडी में पोमैटो की अपार संभावनाएं हैं। जिले के बल्ह, मंडी, नाचन, धर्मपुर, सुंदरनगर और करसोग में अधिक टमाटर उत्पादन होता है, जबकि बरोट, सराज वैली व अन्य क्षेत्रों में आलू की काफी अधिक पैदावार है। बरोट का आलू प्रसिद्ध है।
पोमैटों की पैदावार सामान्य

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सब्जी विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने कहा कि आलू और टमाटर का पौधा उतनी ही पैदावार देता है, जितना एक सामान्य टमाटर या आलू का पौधा देता है।

दोनों की एक ही प्रजाति है। किसानों को खुद ग्राफ्टिंग करनी होती है। उन्होंने कहा कि टमाटर, शिमला मिर्च, हरी मिर्च व आलू, टमाटर कूहल की सब्जियां हैं। जिनका उत्पादन प्रदेश में व्यापक स्तर पर नकदी फसल के तौर पर हो रहा है और इन फसलों का किसानों की आजीविका सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है।