गांव की पगडंडी… टूटी साइकिल…से IRS बनने का सफर किया तय, जानिए गांव से निकले ओम प्रकाश सिन्हा की कहानी

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(www.arya-tv.com)आज सफलता शहर में ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों से काफी आती है. पर बड़ी सफलता हमेशा अंजान जगहों से ही निकलती है. आज उस शख्स की कहानी पढ़िए जो गांव की पगडंडियों से टूटी साइकिल पर सफर तय कर असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (IRS) बने हैं. यह कहानी है ओमप्रकाश सिन्हा की. जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर बहुत ऊंचा मुकाम हासिल किया है. वह उस समय भी युवाओं के प्रेरणा स्रोत थे और आज भी युवा उनसे प्रेरणा लेकर सफल हो सकते हैं. बता दें कि ओमप्रकाश सिन्हा अररिया जिले के जोगबनी नगर परिषद के वार्ड भेड़ियारी से निकले हैं. वह इनकम टैक्स इंस्पेक्टर से अब असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (IRS) बने हैं.

तीसरी बार में मिली सफलता
IRS ओम प्रकाश सिन्हा ने अपनी सफलता को याद करते हुए बताया कि वह 1999 का दौर था. जब फिर 112 सीट के लिए वैकेंसी आई थी. PT दिया जिसमें सफलता मिली. फिर 2000 में मैंस हुआ. उसमें भी कामयाब हुआ. इसके बाद 2001 में इंटरव्यू हुआ. अंततः मुझे पहली कामयाबी मिली. यह कामयाबी काफी खास थी. क्योंकि AIR 14th और बिहार में 1st रैंक मुझे मिली. लेकिन इससे पहले दो बार असफल भी हुआ. पहली बार 1995 में जिसमें रिजल्ट नहीं आया, फिर 1996 में कोलकाता में इंटरव्यू दिया, पर फाइनल नहीं हुआ. फिर तीन साल 1999 की वैकेंसी में कामयाब हुआ.

खुद के साथ कई अधिकारियों की खड़ी की फौज
ओम प्रकाश सिन्हा ने बताया कि जिस समय में तैयारी कर रहा था, उस समय कई जूनियर्स को भी पढ़ाता था. क्यूंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी. पिता स्व. अवधेश प्रसाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे. इससे किसी तरह घर चलता था. ऐसे में घर का बड़ा बेटा होने के नाते पिता के बोझ को कम करना मेरी जिम्मेदारी थी. ऐसे में मैंने पढ़ने के साथ पढ़ाने का भी काम किया. मेरे पास एक टूटी साइकल थी जो मेरे सफलता की साथी थी. उन्होंने कहा कि मुझे आज खुशी होती है कि जो पौधा को लगाया था, वो सभी भी बड़े पोस्ट पर हैं. इसमें सुमन कुमार झा (ITO), अजय कर्ण (Income Tax), मो. परवेज आलम (सीनियर टैक्स ऑफिसर), शिव कुमार साह Assistant Accounts Officer( CGDA), श्रुति कुमारी ( Intelligence officer), राजेश गिरी के साथ यह लिस्ट लंबी है.

मां ने कहा- पिता ने मां सरस्वती से मांगा था इन्हें
अपने बेटे ओम प्रकाश सिन्हा की सफलता को याद करते हुए मां मीरा सिन्हा कहती है कि जिस दौड़ को हम लोगों ने झेला है, वो सबके बस की बात नहीं है. इनके पिता स्व.अवधेश कुमार सिन्हा ने मां सरस्वती से इनको मांगा था. सच में पढ़ाई की ताकत दिखा यह मुकाम हासिल किया है. अपने साथ कई ऐसे परिवार के बच्चों को ऊपर उठाया. जब रिजल्ट आया था तो लगा की मेरी तपस्या सफल हुई. वहीं उनके भाई LIC में DO शशि प्रकाश सिन्हा कहते हैं कि वह सच में उस दिन लगा कि अब हमारे दुख दूर हो गए हैं. पिता ने मां सरस्वती से वरदान मांगा था, तब भैया का जन्म हुआ था.