(www.arya-tv.com) केके पाठक ने जब से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पदभार संभाला है। उनकी ओर से लगातार कोई न कोई फरमान जारी होते रहता है। केके पाठक ने बीपीएससी शिक्षकों के योगदान करने से पहले ही आदेश दे दिया कि वे किसी संघ और संस्था से नहीं जुड़ेंगे।
उन्होंने बिहार के सभी शिक्षकों को व्हाट्सएप से छुट्टी के आवेदन को लेने से मना कर दिया। केके पाठक ने शिक्षकों को सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से मना कर दिया। केके पाठक ने स्कूलों में सुबह 9 बजे से 5 बजे तक रहने का आदेश दिया। केके पाठक ने शिक्षकों को कमजोर बच्चों को गोद लेने का आदेश दिया।
शिक्षकों ने केके पाठक के सभी आदेशों का पालन किया और कर भी रहे हैं। इस बीच केके पाठक की नजर में खुद को तेज तर्रार और कर्तव्यनिष्ठ बताने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी आदेश जारी कर रहे हैं।
हालांकि, अधिकारियों की ओर से ये सफाई दी जा रही है कि केके पाठक के निर्देश पर ही वे उक्त आदेश जारी करते हैं। आइए राजधानी पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी के उस आदेश की पड़ताल करते हैं, जिसे शिक्षक अनप्रैक्टिकल बता रहे हैं।
हेडमास्टर को परेशानी
बिहार की राजधानी पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार की ओर से पत्रांक नंबर 10714 के आलोक में एक आदेश जारी किया गया है। 28 दिसंबर, 2023 को जारी इस आदेश में जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने प्राचार्य /प्रधानाध्यापक और जिले के सभी प्राथमिक/मध्य / माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय को आदेश जारी किया है।
अधिकारी ने विषय का नाम- विद्यालय के शिक्षकों का आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति के संबंध में दिया है। उसके आगे अपने आदेश में अमित कुमार ने कहा है कि महाशय, उपर्युक्त विषयक अंकित करना है कि निरीक्षण के क्रम में यह देखा जा रहा है कि कतिपय विद्यालयों में गैर आनुपातिक रूप से शिक्षकों को आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति दी जाती है।
इससे दैनिक कक्षाओं के साथ-साथ विशेष कक्षा एवं दक्ष कक्षा के संचालन में कठिनाई हो रही है। अतः निर्देश दिया जाता है कि एक समय में अधिकतम 10 प्रतिशत शिक्षकों को ही आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति दी जाय। उसके आगे उन्होंने विश्वासभाजन जिला शिक्षा पदाधिकारी लिखते हुए अपना हस्ताक्षर किया है। असली परेशानी यही से शुरू होती है।
शिक्षक का आधार शरीर छुट्टी पर
राजधानी पटना के शिक्षक नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि माध्यमिक और उच्च विद्यालय में शिक्षकों की संख्या ज्यादा होती है। वहां 10 और इससे ज्यादा शिक्षक होते हैं।
इन स्कूलों में यदि 10 प्रतिशत शिक्षक को आकस्मिक अवकाश दिया जाए, तो 10 शिक्षक पर एक टीचर छुट्टी पर जा सकते हैं। पूर्व में हेडमास्टर की अनुमति से कुल शिक्षकों के 30 प्रतिशत और 40 प्रतिशत शिक्षकों को छुट्टी दी जाती थी। अब कहा जा रहा है कि मात्र 10 फीसदी शिक्षक ही अवकाश पर जाएंगे।
शिक्षकों का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत प्राथमिक और मध्य विद्यालय के सामने आ रही है। शिक्षकों के मुताबिक मान लीजिए किसी प्राथमिक विद्यालय में 2 और तीन शिक्षक हैं। चलिए मान लेते हैं कि 4 शिक्षक हैं। उसका 10 प्रतिशत कितना होगा।
इस हिसाब से देखा जाए, तो शिक्षक का आधा शरीर यानी कमर से ऊपर का हिस्सा स्कूल में रहेगा और बाकी हिस्सा छुट्टी पर। 10 प्रतिशत छुट्टी देने का ये आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक है।
शिक्षकों ने बताया कि ज्यादातर प्राथमिक स्कूलों में दो, तीन और ज्यादा से ज्यादा चार शिक्षक हैं। उनमें 10 फीसदी को छुट्टी कैसे? 4 का दस प्रतिशत 0.4 है। ऐसे में कितने शिक्षक छुट्टी पर जाएंगे।
डीईओ का आदेश अव्यवहारिक
कुछ यही परेशानी मध्य विद्यालय की है। ज्यादातर मध्य विद्यालय में शिक्षक ज्यादा नहीं हैं। किसी मध्य विद्यालय में 4 और कहीं 5 तो किसी स्कूल में 6 से सात शिक्षक हैं।
यहां भी 10 फीसदी छुट्टी देने में उसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किसी स्कूल में यदि 10 शिक्षक हैं और इसमें से 10 फीसदी को छुट्टी देनी है, तो मान लीजिए 1 शिक्षक को छुट्टी मिल सकती है। लेकिन जहां जोड़-घटाव करने के बाद 10 प्रतिशत का रिजल्ट आधा और उससे कम आता है।
क्या उस स्कूल के शिक्षकों का आधा शरीर छुट्टी पर जाएगा। क्या आधा शरीर स्कूल में बच्चों को पढ़ा सकता है। शिक्षकों ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि ये आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक है।
इस आदेश को हेडमास्टर के ऊपर छोड़ देना चाहिए और स्कूल की परिस्थिति के अनुसार फैसला लेने की छूट देनी चाहिए। शिक्षकों ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को कौन समझाए कि सभी स्कूलों में 10 शिक्षक प्रतिनियुक्त नहीं हैं कि उनमे से एक को छुट्टी दे दी जाए।
यदि स्कूल में 5 शिक्षक हैं, तो क्या आधे शिक्षक को छुट्टी मिलेगी? शिक्षकों के मुताबिक बीपीएससी से बहाल शिक्षकों के आने के बाद स्कूलों में संख्या कुछ बढ़ेगी। उसके बाद भी कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां शिक्षकों का घोर अभाव है। वैसे में जिला शिक्षा पदाधिकारी का ये आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक है।