(www.arya-tv.com) अयोध्या में विकास के नए युग का सूत्रपात होने जा रहा है. 30 दिसंबर 2023 की तिथि अयोध्या के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाएगी. पीएम मोदी 15700 करोड़ की 46 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. अयोध्या धाम जंक्शन से 6 वंदे भारत और 2 अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे. अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे.
अगर यूं कहें कि समूचा देश अयोध्या बन गया है तो बिलकुल सही होगा. सभी का जोश तो बस देखते ही बनता है. युवाओं का तो कहना है कि वो सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे कालखण्ड में सांस ले रहे हैं जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हुआ है. 22 जनवरी को रामलला विराजमान होंगे. वो घड़ी जल्द आने वाली, जिसका इंतज़ार पूरा देश कर रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर अयोध्या का क्या इतिहास है. अयोध्या कैसे-कैसे कालखंडों से होकर गुजरी है. अयोध्या का इतिहास क्या है, क्या है इसका शाब्दिक अर्थ, आइये जानते हैं….
बात शुरू होती है अलीवर्दी खान से जो सन् 1733-40 तक बिहार के नायब नजीम (सहायक सूबेदार) रहे. सन् 1740-56 तक बंगाल के नवाब रहे. नवाब सिराजुद्दौला इनके पोते थे, जिनसे उन्हें खासा लगाव था. सन् 1756 में अलीवर्दी खान की मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला को बंगाल का नवाब बनाया गया था.
अलीवर्दी खान का कैसे अयोध्या तक शासन पहुंचा, अयोध्या को फैजाबाद करने के पीछे क्या वजह थी, तब के शासकों की. नवाबी के दौर में फैजाबाद की रौनक कैसी हुआ करती थी, इसका इतिहास में क्या जिक्र है. अयोध्या धर्म-संस्कृति और आध्यात्म की नगरी कैसे है…ऐसे तमाम सवालों को लेकर हमने इतिहासकारों से खास बातचीत की. न्यू़ज़ 18 से बातचीत करते हुए इतिहासकार डॉक्टर अर्चना सिंह बताती हैं कि अलीवर्दी ख़ान जब बंगाल के नवाब थे, जब उनका उत्तराद्ध काल चल रहा था, तब इनका शासनकाल बढ़कर अवध तक आ गया था. बाद में इनके उत्तराधिकारी शिज़ाउद्दौला और दरबार के एक शख्स फैज़ बख्श का बड़ा रोल था अवध को राजधानी बनाने में. फैज़ बख्श ने नवाबों के काल में राजशाही तरीके से विस्तारण किया था.इतिहासकार डॉक्टर अर्चना सिंह ने कहा कि अयोध्या विश्व के प्रमुख नगरों में रहा है. वो इच्छवाकु वंश की बात करती हैं. वो कहती हैं कि अयोध्या का नाम हमेशा सबसे प्रमुख नगरों में रहा है..
अयोध्या के इतिहास की बात करते हुए इतिहासकार डॉक्टर अमित पाठक कहते हैं कि रामजी के साथ भगवान बुद्ध भी अयोध्या में रहे. भगवान महावीर भी अयोध्या में रहे. पांच तीर्थांकरों का जन्म भी अयोध्या में हुआ. उन्होंने कहा कि अयोध्या के बगल में फैज़ाबाद बसाया गया था और लंबे अरसे तक वो केंद्र रहा था. वो कहते हैं कि अवध शब्द भी अयोध्या से निकला. अयोध्या का शाब्दिक अर्थ बताते हुए इतिहासकार कहते हैं कि एक अर्थ अयोध्या है का है जिसको युद्ध से जीता न जा सके. दूसरा अर्थ निकलता है अ युद्ध. जहां युद्ध ही न होता हो. जहां हमेशा शांति मिलती हो. वो कहते हैं कि अयोध्या भारतीय समाज की पुर्नजागृति का केंद्र है.