(www.arya-tv.com) मथुराः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार 14 दिसंबर को कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में एक जरूरी फैसला सुनाते हुए विवादित जगह की कमीशनरेट सर्वे का आदेश जारी कर दिया. इस आदेश पर आखिरी मुहर तब लग गई जब शुक्रवार 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए सर्वे को मंजूरी दे दी. जिससे मंदिर पक्ष के लोगों में बेहद खुशी है. उनका मानना है कि इस सर्वे से सब कुछ साफ हो जायेगा.
मुस्लिम पक्षकार का कहना है कि यह मामला मथुरा के हिंदू मुस्लिम एकता को खराब करने के आये बाहरी लोगों के द्वारा उछाला जा रहा है. मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने बताया कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और मुस्लिम पक्ष अपनी बात 18 दिसम्बर को रखेगा और यह तय करेगा कि सर्वे को लेकर वह किस तरह की रणनीति आगे अपनायेंगे. लेकिन वहीं उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला बिना किसी आधार पर मंदिर पक्ष द्वारा चलाया जा रहा है. वह अभी भी किसी भी प्रकार के दस्तावेज कोर्ट में दाखिल नहीं कर पाये, जिससे वह विवादित जमीन पर अपना मालिकाना हक दिखा सके.
कागजी दस्तावेज और सबूत नहीं कर पाये पेश
इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि हमने अभी न्यायालय में 7 Rule 11 CPC के तहत पत्र दाखिल किए हुए है, जिसके तहत यह देखना बाकी है कि मामला सुनवाई के लायक है या नहीं, क्योंकि पहले भी न्यायालय में चार मामले खारिज हो चुके है और अभी तक किसी प्रकार के कागजी दस्तावेज और सबूत नहीं पेश कर पाये हैं. जिन दलीलों के साथ वह 13.37 एकड़ के जमीन पर अपना दावा पेश करते हैं.
बाहरी लोगों ने मथुरा के माहौल को किया खराब
इसी के साथ तनवीर ने कहा कि सन् 2020 में यहां कोई भी विवाद नहीं था. लेकिन कुछ बाहरी लोगों ने अपने फायदे के लिए और मथुरा के माहौल को खराब करने के लिए यह सब किया,क्योंकि मथुरा एक ऐसी जगह है जहां आरती और अज़ान की आवाज़ एक साथ आती है.
