CM चुनने के मामले में भी एक अलग राह पर चल पड़ी BJP, 2014 से ऐसी है कहानी

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(www.arya-tv.com) मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे। BJP विधायक दल की बैठक में सोमवार उनके नाम पर मुहर लग गई। इसके साथ ही कौन होगा अगला सीएम…इस चर्चा पर भी विराम लग गया। मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की।

नतीजों के बाद से ही चर्चा शुरू हो गई कि अगला सीएम कौन होगा। शिवराज सिंह चौहान के नाम की भी चर्चा चल रही थी। हालांकि बीजेपी इस बार पांच राज्यों के चुनाव में किसी चेहरे पर मैदान में नहीं गई। सभी जगहों पर चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया।

हालांकि मध्य प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगहों पर बीजेपी की सरकार नहीं थी। केवल मध्य प्रदेश में ही बीजेपी की सरकार थी। जीत के बाद उस चेहरे पर मुहर नहीं लगी जो राज्य के सीएम थे। शिवराज सिंह को मौका नहीं मिला। इसके साथ ही 2014 से जिस राह पर बीजेपी आगे बढ़ रही थी उसमें एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

शिवराज नहीं, 2014 के बाद दूसरी बार हुआ ऐसा

2014 जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है और उसके बाद राज्यों के चुनाव में एक बात कॉमन देखने को मिली। 2014 के बाद से राज्यों में सत्ता रहते हुए जहां भी चुनाव हुए, वहां जीत के बाद बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री को नहीं बदला। हालांकि इसमें अपवाद सिर्फ एक 2021 में असम के चुनाव में देखने को मिला।

जीत के बाद असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को रिपीट नहीं किया गया और वहां हिमंत बिस्वा सरमा राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। यदि इस एक राज्य और एक नाम को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगह ऐसा नहीं हुआ। 2017 में गुजरात चुनाव में जब बीजेपी को जीत मिली तो विजय रुपाणी को ही सीएम बनाया गया।

इसी तरह गुजरात में जब 2022 में चुनाव हुए तब भूपेंद्र पटेल सीएम थे और जीत के बाद उन्हें ही रिपीट किया गया। साल 2019 में हरियाणा में भी यही देखने को मिला। जीत के बाद मनोहर लाल खट्टर ही सीएम बने।

इसी तरह यूपी में साल 2022 में जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को ही रिपीट किया गया। गोवा में भी यही देखने को मिला। सबसे आश्चर्य वाली बात उत्तराखंड में देखने को मिली यहां धामी चुनाव हार गए बावजूद इसके उनको दोबारा सीएम बनाया गया। अरुणाचल और त्रिपुरा में भी जीत के बाद यही देखने को मिला था।

शिवराज का यह दांव नहीं आया काम

इस पूरे सफर को देखा जाए तो इस रिकॉर्ड को देखकर शिवराज सिंह चौहान को थोड़ी उम्मीद थी कि शायद पार्टी उन्हें यहां रिपीट करेगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। वहीं दूसरी ओर कई राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि पार्टी ने यहां बहुत पहले ही शिवराज को यह संकेत दे दिया था कि इस बार वह उनके नाम के साथ आगे नहीं बढ़ेगी।

इसका हिंट चुनाव के दौरान भी दे दिया गया था। चेहरा घोषित नहीं था और केंद्रीय मंत्री समेत कई दूसरे बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतार दिया गया। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने शिवराज सिंह चौहान के नाम का जिक्र भी नहीं किया। राज्य के उम्मीदवारों की जो लिस्ट आई उसमें भी उनका नाम सबसे आखिरी में आया।

ऐसे में उनको भी इस बात का एहसास था। हालांकि जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपने तरीके से ही अपनी दावेदारी पेश की थी। उन्होंने लाडली बहना योजना के जरिए अपनी बात रखनी चाही। वह कहते रहे कि वह दिल्ली नहीं जाएंगे। 3 दिसंबर को आए नतीजों के बाद से ही वह अपने तरीके से दिल्ली एक मैसेज देने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

सीएम चुनने के लिए बीजेपी ने क्यों बदली रणनीति

एंटी इनकंबेंसी के डर से कई बार राजनीतिक दल चेहरा बदलने का फैसला करते हैं। हालांकि बीजेपी में इस एंटी इनकंबेंसी का डर दूसरे विपक्षी दलों के मुकाबले कम है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी अपनी ओर से आंकड़े पेश कर इस बात का जिक्र किया। ऐसे में फिर सवाल उठता है कि बीजेपी ने आखिर यहां सीएम क्यों बदला।

कुछ लोगों का यह भी सवाल हो सकता है कि शिवराज जिनकी उम्र भी अधिक नहीं है। इन सबके बीच एक बड़ा सवाल था कि कई राज्यों में बीजेपी के पास नेतृत्व करने वाले चेहरे की कमी है। शिवराज सिंह को लेकर यह कहा गया कि वह सीटें तो बढ़वा सकते हैं लेकिन अकेले दम पर उनके चेहरे पर जीत नहीं मिल सकती। पिछले चुनाव में भी यह देखने को मिला था।

साथ ही वह राज्य में 18 वर्षों से सीएम रहे। ऐसे में 2024 से पहले बीजेपी एक नए चेहरे के साथ आगे बढ़ना चाहती है। कई बार चेहरा नहीं बदलने का खामियाजा राजनीतिक दलों को भुगतना पड़ा है और बीजेपी भी इस बात को समझ रही थी। बीजेपी ने यहां चौंकाया है। मोहन यादव को सीएम बनाया है और इसके जरिए यूपी,बिहार तक संदेश देने की कोशिश हुई है।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में बदलाव, राजस्थान में क्या होगा फैसला
राजस्थान में बीजेपी की सरकार नहीं थी। वहां सत्ता में कांग्रेस थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जो फैसला हुआ है उसके बाद इस बात की काफी कम संभावना है कि यहां बीजेपी वसुंधरा राजे के नाम पर मुहर लगाएगी।

दो राज्यों में जिस प्रकार फैसला हुआ है उसे देखकर ऐसा लगता है कि बीजेपी भी यहां किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। बीजेपी 2024 से पहले इन तीनों ही राज्यों में अलग-अलग चेहरे देकर एक नया संदेश देने की कोशिश करेगी। राजस्थान में कल यानी मंगलवार को विधायक दल की बैठक होने वाली है और अब सबकी नजर वहां टिक गई है कि पार्टी का फैसला क्या होगा।

यहां वसुंधरा राजे की ओर से शुरुआत में विधायकों के साथ मीटिंग की खबर सामने आती है लेकिन केंद्र के तेवर को देखते हुए जल्द ही इस पर विराम लग गया। अब बीजेपी की नजर 2024 पर है और अब वह मोदी की गारंटी और इन नए चेहरों के साथ आगे बढ़ने को तैयार दिख रही है।