नेपाल के लोगों के साथ है भारत, हर संभव करेंगे मदद…भूकंप से मची तबाही पर PM मोदी का संदेश

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(www.arya-tv.com) नेपाल में आए भूकंप से मची तबाही के बीच भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल भूकंप में जानमाल के नुकसान पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है. हमारी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.

नेपाल (Nepal) में शुक्रवार रात 6.4 की तीव्रता का भूकंप (Earthquakes) आया, जिसमें करीब 128 लोगों की मौत हो गई. इस भीषण भूकंप से कई इमारतें ध्वस्त हो गईं और सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है. इस भूकंप के तेज झटके दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल में 10 किलोमीटर की गहराई में था. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब नेपाल ने इतना विनाशकारी भूकंप देखा है. नेपाल में अभी भी 2015 के भयानक भूकंप की यादें ताजा हैं, जिसमें लगभग 8,000 लोगों की मौत हो गई थी.

नेपाल में 2015 में आए भूकंप में कई ऐतिहासिक और सदियों पुराने मंदिरों और कुछ खंडहरों के अलावा कुछ भी नहीं बचा था. अनुमान लगाया गया कि भूकंप से नेपाल की अर्थव्यवस्था को कम से कम 6 अरब डॉलर का झटका लगा था. यह भूकंप रिक्टर पैमाने पर 7.8 की तीव्रता वाला था और यह पिछले 80 साल में इस इलाके में आए सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था. इसके अलावा इसका स्रोत जमीन से केवल 11 किमी. नीचे था. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर नेपाल में इतने भूकंप क्यों आते हैं और उनको इतना विनाशकारी बनाने के पीछे क्या कारण हैं?

भूकंप के खतरे वाले इलाके में है नेपाल
नेपाल अपनी स्थिति के कारण भूकंप के लिए बहुत संवेदनशील है. बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की परत बनाती हैं. ये वे भूभाग हैं, जिनमें संपूर्ण महाद्वीप शामिल हैं. ये प्लेटें गतिमान हैं और हर समय एक-दूसरे से टकराती रहती हैं. नेपाल दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों- इंडो-ऑस्ट्रेलियाई और एशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है. इन प्लेटों के टकराव के कारण ही हिमालय पर्वत बना है. इसके साथ-साथ ही टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से भूकंप भी आते हैं. ये दोनों प्लेटें हर साल लगभग 5 सेमी की दर से एक दूसरे के ऊपर और नीचे धकेले जा रहे हैं. हालांकि यह ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन जब यह बल एकत्रित हो जाता है, तो इसका नतीजा भूकंप होता है, जो काफी विनाशकारी होता है.

कमजोर इमारतें नेपाल में भारी तबाही का कारण
अपनी कमजोर इमारतों के कारण नेपाल  सामना नहीं कर पाता है. इससे मामला और भी जटिल हो जाता है और मौतों की संख्या भी बढ़ जाती है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) भूकंप के प्रति सबसे संवेदनशील देशों की सूची में नेपाल को 11वें स्थान पर रखता है. नेपाल की राजधानी काठमांडू भूकंप के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील शहरों में से एक है. नेपाल में 15 जनवरी, 1934 को आया भूकंप उसके इतिहास के सबसे भयानक भूकंपों में से एक था. रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता के इस भूकंप से करीब 12,000 लोगों की मौत हुई थी.