(www.arya-tv.com) आगरा. लगभग 25 सालों से गुलामी की जिंदगी जी रहे मखना हाथी को वाइल्डलाइफ एसओएस के अधिकारियों ने आजाद कराया.मखना हाथी को पिछले 25 सालों से सड़क पर भीख मांगने और शादी के जुलूसों में भाग लेने के काम में इस्तेमाल किया जा रहा था. गुलामी की जिंदगी जी रहे इस हाथी की स्थिति बेहद नाजुक है.
वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस एलिफेंट हॉस्पिटल कैंपस में हाथी के शरीर की जांच की. जिसमें स्थिति चिंता जनक पाई गई. हाथी शारीरिक रूप से अत्यधिक दुर्बल और कमजोर पाया गया. दोनों आँखों में अंकुश के इस्तेमाल से घाव हो गए. हाथी के पिछले और अगले पैरों में की गई थर्मल इमेजिंग से भी पता चला है की उसके सभी चार पैरों में सूजन, फोड़े और बढ़े हुए पैर के नाखूनों की गंभीर समस्याएं है.
बोझ ढोने से हाथी की रीड की हड्डी में हुआ फ्रैक्चर
लगातार भारी बोझ उठाने की वजह से, युवा हाथी की रीढ़ की हड्डी में कई फ्रैक्चर हुए हैं, जैसा कि एक्स-रे रिपोर्ट से पुष्टि हुई है. इससे एक बात और साबित होती है कि हाथियों को भी ज्यादा बोझ उठाने से दिक्कत होती है. लोगों में अब तक धारणा थी कि ज्यादा वजन उठाने से हाथी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. बिना किसी नुकसान के भारी बोझ उठा सकते हैं. भीख मांगने या मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों को अक्सर भारी काठी से बांध दिया जाता है जिससे उनकी चाल बदल जाती है, उन्हें दर्द होता है और रीढ़ की हड्डी में भी एक अलग तरह का उभार आ जाता है. फिलहाल अब हाथी की देखभाल अच्छी तरीके से NGO में की जा रही है.
25 सालों से यातनाएं झेल रहा था हाथी
वाइल्डलाइफ एसओएस के सी.ई.ओ और सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि इस हाथी की स्थिति भीख मांगने और जुलूसों में इस्तेमाल किए जाने से बेहद खराब पाई गई. 25 सालों तक हाथी अपने मालिक की कैद में रहा. जिसे अब आजाद करा लिया गया है. अब हाथी की आगरा मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी केंद्र में देखभाल की जा रही है .डॉक्टर की विशेष टीम हाथी की देखभाल कर रही हैं. यहां लाने से पहले हाथी को यातनाओं से गुजरना पड़ा. लेकिन अब हाथी की जिंदगी बदलने वाली है.